Thursday, December 30, 2021

यूरिया की जगह खेती में दही का उपयोग करे

 2 किलो दही 25 किलो यूरिया के बराबर करता है काम! 

🙏🙏 Mor Dairy Farm (एक नई सोच)  🙏🙏

--------------------+++++++++++++---------------------

हाल के दिनों में यूरिया की किल्लत से परेशानी की खबर देश के हर जिले से आ रही है। घंटों मशक्कत के बाद भी किसानों को 1-2 बोरी यूरिया मिलने में परेशानी आ रही है। इस तरह के परेशानियों का सामना करने वाले सभी किसान भाइयों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है।

दरअसल खेती में दही का उपयोग करके आप यूरिया सहित अन्य उर्वरकों का दाम बचा सकते हैं।


दही का उपयोग करने के कई लाभ हैं।

 दही के उपयोग से खेती से लागत का 95 प्रतिशत बचता है और कृषि उत्पादन में कम से कम 15 प्रतिशत की वृद्धि होती है। दही के फायदों को देखकर, कई किसानों ने इसकी ओर रुख किया है। खासकर जब से इसका प्रयोग भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और गुजरात के कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा किया गया है।  दही का उपयोग अब खेत में किया जा रहा है। 


पानी की बचत

अगर आप अपने खेतों में दही का उपयोग करते हैं तो

15 दिनों तक सिंचाई करने की आवश्यकता नहीं है, इसलिए यह प्रति एकड़ 1000 रुपये बचाता है। रासायनिक उर्वरक की प्रति एकड़ लागत रु 1100 है, लेकिन दही की कीमत 110 रुपये प्रति 2 किलो दूध है। कीटनाशकों पर 1500 रुपये प्रति एकड़ खर्च नहीं होता है। इस प्रकार, एक को प्रति एकड़ 3600 रुपये खर्च करने पड़ते हैं, लेकिन केवल 155 रुपये की मामूली लागत पर दहीं से काम चलता है।


दही कैसे बनाये

दही बनाने के लिए मिट्टी के बर्तन में देशी गाय का दो लीटर दूध डालें। दो किलो दही में एक तांबे का टुकड़ा या एक तांबे का चम्मच डुबोएं और इसे 8 से 15 दिनों के लिए ढककर छाया में रखें। इसमें हरे रंग का तार होगा। तांबे या पीतल को धोकर दही में मिलाएं। 5 लीटर मिश्रण बनाने के लिए दो किलो दही में 3 लीटर पानी मिलाएं। एक एकड़ में एक पंप द्वारा पानी का छिड़काव किया जाता है। फिर 1 एकड़ में फसल पर पानी छिड़का जाता है। ऐसा करने से पौधे 25 से 45 दिनों तक हरे रहेंगे। नाइट्रोजन की अब जरूरत नहीं है,फसल हरी हो जाएगी।


2 किलो दही से 25 किलो यूरिया बचता है

उत्तर बिहार में 1 लाख किसान यूरिया की जगह दही का इस्तेमाल करते हैं। अनाज, सब्जी और बागों के उत्पादन में 25 से 30 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है। 30 मिलीलीटर दही का मिश्रण एक लीटर पानी में डाला जाता है। दिल्ली के आसपास, 9 साल से यूरिया के बजाय दही का उपयोग किया जाता है।


सभी फसलों में उपयोगी

यह सभी प्रकार की फसलों जैसे मक्का, गेहूं, आम, केला, सब्जियां, लीची, धान, गन्ना पर छिड़का जा सकता है।


गार्डन

बगीचे में फूल आने से 25 दिन पहले दही पानी का उपयोग किया जाता है। यह बगीचों को फास्फोरस और नाइट्रोजन प्रदान करता है। फसल पर जैविक पदार्थ तैयार हो जाएगा। सभी फल एक समान आकार के होते हैं।


जहरीला मक्खन

छाछ से निकलने वाला मक्खन किट नियंत्रक के रूप में काम करेगा। जहरीले मक्खन में वर्मीकम्पोस्ट डाल कर पौधे की जड़ों में रगड़ें। कीड़े और कीट चले जाएंगे। विषाक्त पदार्थों के बारे में पता होना महत्वपूर्ण है।


निस्संक्रामक

अगर ये किसान इसमें दही के अलावा मेथी का पेस्ट या नीम का तेल मिलाते हैं और इसे कीटनाशक के रूप में स्प्रे करते हैं, तो फसल को फंगस नहीं लगेगा। ऐसा करने से नाइट्रोजन प्रदान करता है, कीटों को समाप्त करता है और अनुकूल कीटों से बचाता है।


मिट्टी में खाद

दही का उपयोग मिट्टी में भी किया जा सकता है। 2 किलो दही प्रति एकड़ के हिसाब से लगायें। मिट्टी में माइक्रोबियल दर अधिक है। ऐसा करने से सभी फसलों में उत्पादन 25-30 प्रतिशत बढ़ सकता है। दही का उपयोग पंचगव्य में किया जाता है।


पानी की खपत कम हो जाती है

गर्मी में दही में 300 ग्राम और पानी में 300 ग्राम सेंधा नमक मिलाकर 300 ग्राम सेंधा नमक छिड़कने से फसल को 15 दिनों तक पानी की जरूरत नहीं होती है।


कृषि अनुसंधान संस्थान

जैसा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने मार्च 2017 में इस नवाचार को मान्यता दी थी, मुजफ्फरपुर के किसानों को दही की खेती करके सम्मानित किया गया था।


भारत में, सालाना 500 लाख टन उर्वरक का उपयोग किया जाता है। उपर के अनुभव किसानो का है। कृषि अधिकारी से जानकर ही इसे उपयोग करना चाहीए।


🙏🙏 🙏🙏

Wednesday, December 29, 2021

योग एवं रोग से सम्बंधित 100 महत्वपूर्ण जानकारियां

 *योग की कुछ 100 जानकारी जिसका ज्ञान सबको होना चाहिए*


1. योग, भोग और रोग ये तीन अवस्थाएं है।

2. *लकवा* - सोडियम की कमी के कारण होता है।

3. *हाई वी पी में* -  स्नान व सोने से पूर्व एक गिलास जल का सेवन करें तथा स्नान करते समय थोड़ा सा नमक पानी मे डालकर स्नान करे।

4. *लो बी पी* - सेंधा नमक डालकर पानी पीयें।

5. *कूबड़ निकलना*- फास्फोरस की कमी।

6. *कफ* - फास्फोरस की कमी से कफ बिगड़ता है, फास्फोरस की पूर्ति हेतु आर्सेनिक की उपस्थिति जरुरी है। गुड व शहद खाएं‌।

7. *दमा, अस्थमा* - सल्फर की कमी।

8. *सिजेरियन आपरेशन* - आयरन , कैल्शियम की कमी।

9. *सभी क्षारीय वस्तुएं दिन डूबने के बाद खायें*।

10. *अम्लीय वस्तुएं व फल दिन डूबने से पहले खायें*।

11. *जम्भाई*- शरीर में आक्सीजन की कमी।

12. *जुकाम* - जो प्रातः काल जूस पीते हैं वो उस में काला नमक व अदरक डालकर पिये।

13. *ताम्बे का पानी* - प्रातः खड़े होकर नंगे पाँव पानी ना पियें।

14.  *किडनी* - भूलकर भी खड़े होकर गिलास का पानी ना पिये।

15. *गिलास* एक रेखीय होता है तथा इसका सर्फेसटेन्स अधिक होता है। गिलास अंग्रेजो ( पुर्तगाल) की सभ्यता से आयी है अतः लोटे का पानी पियें,  लोटे का कम  सर्फेसटेन्स होता है।

16. *अस्थमा, मधुमेह, कैंसर* से गहरे रंग की वनस्पतियाँ बचाती हैं।

17. *वास्तु* के अनुसार जिस घर में जितना खुला स्थान होगा उस घर के लोगों का दिमाग व हृदय भी उतना ही खुला होगा।

18. *परम्परायें* वहीँ विकसित होगीं जहाँ जलवायु के अनुसार व्यवस्थायें विकसित होगीं।

19. *पथरी* - अर्जुन की छाल से पथरी की समस्यायें ना के बराबर है।

20. *RO* का पानी कभी ना पियें यह गुणवत्ता को स्थिर नहीं रखता। कुएँ का पानी पियें। बारिस का पानी सबसे अच्छा, पानी की सफाई के लिए *सहिजन* की फली सबसे बेहतर है।

21. *सोकर उठते समय* हमेशा दायीं करवट से उठें या जिधर का *स्वर* चल रहा हो उधर करवट लेकर उठें।

22. *पेट के बल सोने से* हर्निया, प्रोस्टेट, एपेंडिक्स की समस्या आती है। 

23.  *भोजन* के लिए पूर्व दिशा, *पढाई* के लिए उत्तर दिशा बेहतर है।

24.  *HDL* बढ़ने से मोटापा कम होगा LDL व VLDL कम होगा।

25. *गैस की समस्या* होने पर भोजन में अजवाइन मिलाना शुरू कर दें।

26.  *चीनी* के अन्दर सल्फर होता जो कि पटाखों में प्रयोग होता है, यह शरीर में जाने के बाद बाहर नहीं निकलता है। चीनी खाने से *पित्त* बढ़ता है। 

27.  *शुक्रोज* हजम नहीं होता है *फ्रेक्टोज* हजम होता है और भगवान् की हर मीठी चीज में फ्रेक्टोज है।

28. *वात* के असर में नींद कम आती है।

29.  *कफ* के प्रभाव में व्यक्ति प्रेम अधिक करता है।

30. *कफ* के असर में पढाई कम होती है।

31. *पित्त* के असर में पढाई अधिक होती है।

33.  *आँखों के रोग* - कैट्रेक्टस, मोतियाविन्द, ग्लूकोमा, आँखों का लाल होना आदि ज्यादातर रोग कफ के कारण होता है।

34. *शाम को वात*-नाशक चीजें खानी चाहिए।

35.  *प्रातः 4 बजे जाग जाना चाहिए।* 

36. *सोते समय* रक्त दवाव सामान्य या सामान्य से कम होता है।

37. *व्यायाम* - *वात रोगियों* के लिए मालिश के बाद व्यायाम, *पित्त वालों* को व्यायाम के बाद मालिश करनी चाहिए। *कफ के लोगों* को स्नान के बाद मालिश करनी चाहिए।

38. *भारत की जलवायु* वात प्रकृति की है, दौड़ की बजाय सूर्य नमस्कार करना चाहिए।

39. *जो माताएं* घरेलू कार्य करती हैं उनके लिए व्यायाम जरुरी नहीं।

40. *निद्रा* से *पित्त* शांत होता है, मालिश से *वायु* शांति होती है, उल्टी से *कफ* शांत होता है तथा *उपवास* ( लंघन ) से बुखार शांत होता है।

41.  *भारी वस्तुयें* शरीर का रक्तदाब बढाती है, क्योंकि उनका गुरुत्व अधिक होता है।

42. *दुनियां के महान* वैज्ञानिक का स्कूली शिक्षा का सफ़र अच्छा नहीं रहा, चाहे वह 8 वीं फेल न्यूटन हों या 9 वीं फेल आइस्टीन हों। 

43. *माँस खाने वालों* के शरीर से अम्ल-स्राव करने वाली ग्रंथियाँ प्रभावित होती हैं।

44. *तेल हमेशा* गाढ़ा खाना चाहिएं सिर्फ लकडी वाली घाणी का, दूध हमेशा पतला पीना चाहिए।

45. *छिलके वाली दाल-सब्जियों से कोलेस्ट्रोल हमेशा घटता है।* 

46. *कोलेस्ट्रोल की बढ़ी* हुई स्थिति में इन्सुलिन खून में नहीं जा पाता है। ब्लड शुगर का सम्बन्ध ग्लूकोस के साथ नहीं अपितु कोलेस्ट्रोल के साथ है।

47. *मिर्गी दौरे* में अमोनिया या चूने की गंध सूँघानी चाहिए। 

48. *सिरदर्द* में एक चुटकी नौसादर व अदरक का रस रोगी को सुंघायें।

49. *भोजन के पहले* मीठा खाने से बाद में खट्टा खाने से शुगर नहीं होता है। 

50. *भोजन* के आधे घंटे पहले सलाद खाएं उसके बाद भोजन करें। 

51. *अवसाद* में आयरन, कैल्शियम, फास्फोरस की कमी हो जाती है। फास्फोरस गुड और अमरुद में अधिक है 

52.  *पीले केले* में आयरन कम और कैल्शियम अधिक होता है। हरे केले में कैल्शियम थोडा कम लेकिन फास्फोरस ज्यादा होता है तथा लाल केले में कैल्शियम कम आयरन ज्यादा होता है। हर हरी चीज में भरपूर फास्फोरस होती है, वही हरी चीज पकने के बाद पीली हो जाती है जिसमे कैल्शियम अधिक होता है।

53.  *छोटे केले* में बड़े केले से ज्यादा कैल्शियम होता है।

54. *रसौली* की गलाने वाली सारी दवाएँ चूने से बनती हैं।

55.  हेपेटाइट्स A से E तक के लिए चूना बेहतर है।

56. *एंटी टिटनेस* के लिए हाईपेरियम 200 की दो-दो बूंद 10-10 मिनट पर तीन बार दे।

57. *ऐसी चोट* जिसमे खून जम गया हो उसके लिए नैट्रमसल्फ दो-दो बूंद 10-10 मिनट पर तीन बार दें। बच्चो को एक बूंद पानी में डालकर दें। 

58. *मोटे लोगों में कैल्शियम* की कमी होती है अतः त्रिफला दें। त्रिकूट ( सोंठ+ कालीमिर्च+ मघा पीपली ) भी दे सकते हैं।

59. *अस्थमा में नारियल दें।* नारियल फल होते हुए भी क्षारीय है। दालचीनी + गुड + नारियल दें।

60. *चूना* बालों को मजबूत करता है तथा आँखों की रोशनी बढाता है। 

61.  *दूध* का सर्फेसटेंसेज कम होने से त्वचा का कचरा बाहर निकाल देता है।

62.  *गाय की घी सबसे अधिक पित्तनाशक फिर कफ व वायुनाशक है।* 

63.  *जिस भोजन* में सूर्य का प्रकाश व हवा का स्पर्श ना हो उसे नहीं खाना चाहिए। 

64.  *गौ-मूत्र अर्क आँखों में ना डालें।*

65.  *गाय के दूध* में घी मिलाकर देने से कफ की संभावना कम होती है लेकिन चीनी मिलाकर देने से कफ बढ़ता है।

66.  *मासिक के दौरान* वायु बढ़ जाता है, 3-4 दिन स्त्रियों को उल्टा सोना चाहिए इससे गर्भाशय फैलने का खतरा नहीं रहता है। दर्द की स्थति में गर्म पानी में देशी घी दो चम्मच डालकर पियें।

67. *रात* में आलू खाने से वजन बढ़ता है।

68. *भोजन के* बाद बज्रासन में बैठने से *वात* नियंत्रित होता है।

69. *भोजन* के बाद कंघी करें कंघी करते समय आपके बालों में कंघी के दांत चुभने चाहिए। बाल जल्द सफ़ेद नहीं होगा।

70. *अजवाईन* अपान वायु को बढ़ा देता है जिससे पेट की समस्यायें कम होती है 

71. *अगर पेट* में मल बंध गया है तो अदरक का रस या सोंठ का प्रयोग करें।

72. *कब्ज* होने की अवस्था में सुबह पानी पीकर कुछ देर एडियों के बल चलना चाहिए।

73. *रास्ता चलने*, श्रम कार्य के बाद थकने पर या धातु गर्म होने पर दायीं करवट लेटना चाहिए। 

74. *जो दिन मे दायीं करवट लेता है तथा रात्रि में बायीं करवट लेता है उसे थकान व शारीरिक पीड़ा कम होती है।* 

75.  *बिना कैल्शियम* की उपस्थिति के कोई भी विटामिन व पोषक तत्व पूर्ण कार्य नहीं करते है।

76. *स्वस्थ्य व्यक्ति* सिर्फ 5 मिनट शौच में लगाता है।

77. *भोजन* करते समय डकार आपके भोजन को पूर्ण और हाजमे को संतुष्टि का संकेत है।

78. *सुबह के नाश्ते* में फल, *दोपहर को दही* व *रात्रि को दूध* का सेवन करना चाहिए। 

79. *रात्रि* को कभी भी अधिक प्रोटीन वाली वस्तुयें नहीं खानी चाहिए। जैसे - दाल, पनीर, राजमा, लोबिया आदि। 

80.  *शौच और भोजन* के समय मुंह बंद रखें, भोजन के समय टी वी ना देखें। 

81. *मासिक चक्र* के दौरान स्त्री को ठंडे पानी से स्नान, व आग से दूर रहना चाहिए।

82. *जो बीमारी जितनी देर से आती है, वह उतनी देर से जाती भी है।*

83. *जो बीमारी अंदर से आती है, उसका समाधान भी अंदर से ही होना चाहिए।*

84. *एलोपैथी* ने एक ही चीज दी है, दर्द से राहत। आज एलोपैथी की दवाओं के कारण ही लोगों की किडनी, लीवर, आतें, हृदय ख़राब हो रहे हैं। एलोपैथी एक बिमारी खत्म करती है तो दस बिमारी देकर भी जाती है। 

85. *खाने* की वस्तु में कभी भी ऊपर से नमक नहीं डालना चाहिए, ब्लड-प्रेशर बढ़ता है। 

86 .  *रंगों द्वारा* चिकित्सा करने के लिए इंद्रधनुष को समझ लें, पहले जामुनी, फिर नीला.... अंत में लाल रंग। 

87 . *छोटे* बच्चों को सबसे अधिक सोना चाहिए, क्योंकि उनमें वह कफ प्रवृति होती है, स्त्री को भी पुरुष से अधिक विश्राम करना चाहिए। 

88. *जो सूर्य निकलने* के बाद उठते हैं, उन्हें पेट की भयंकर बीमारियां होती है, क्योंकि बड़ी आँत मल को चूसने लगती है।

89.  *बिना शरीर की गंदगी* निकाले स्वास्थ्य शरीर की कल्पना निरर्थक है, मल-मूत्र से 5%, कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ने से 22 %, तथा पसीना निकलने लगभग 70 % शरीर से विजातीय तत्व निकलते हैं। 

90. *चिंता, क्रोध, ईर्ष्या करने से गलत हार्मोन्स का निर्माण होता है जिससे कब्ज, बबासीर, अजीर्ण, अपच, रक्तचाप, थायरायड की समस्या उतपन्न होती है।* 

91.  *गर्मियों में बेल, गुलकंद, तरबूजा, खरबूजा व सर्दियों में सफ़ेद मूसली, सोंठ का प्रयोग करें।*

92. *प्रसव* के बाद माँ का पीला दूध बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता को 10 गुना बढ़ा देता है। बच्चो को टीके लगाने की आवश्यकता नहीं होती  है।

93. *रात को सोते समय* सर्दियों में देशी मधु लगाकर सोयें त्वचा में निखार आएगा।

94. *दुनिया में कोई चीज व्यर्थ नहीं, हमें उपयोग करना आना चाहिए*।

95. *जो अपने दुखों* को दूर करके दूसरों के भी दुःखों को दूर करता है, वही मोक्ष का अधिकारी है। 

96. *सोने से* आधे घंटे पूर्व जल का सेवन करने से वायु नियंत्रित होती है, लकवा, हार्ट-अटैक का खतरा कम होता है। 

97. *स्नान से पूर्व और भोजन के बाद पेशाब जाने से रक्तचाप नियंत्रित होता है*। 

98 . *तेज धूप* में चलने के बाद, शारीरिक श्रम करने के बाद, शौच से आने के तुरंत बाद जल का सेवन निषिद्ध है। 

99. *त्रिफला अमृत है* जिससे *वात, पित्त, कफ* तीनो शांत होते हैं। इसके अतिरिक्त भोजन के बाद पान व चूना।  देशी गाय का घी, गौ-मूत्र भी त्रिदोष नाशक है‌

100. इस विश्व की सबसे मँहगी *दवा लार* है, जो प्रकृति ने तुम्हें अनमोल दी है, इसे ना थूके।


डॉ आशीष जैन शिक्षाचार्य

Monday, December 27, 2021

मैथी और अजवायन के पानी के लाभ

 मेथी और अजवाइन का पानी पीने से सेहत को मिलते हैं ये 5 फायदे, जानें बनाने का तरीका

methi ajwain water: मेथी और अजवाइन पोषक तत्वों से भरपूर होता है। आप इन दोनों का पानी पीकर कई समस्याओं को दूर कर सकते हैं। 


Methi and Ajwain Water Benefits in Hindi: अगर आप हेल्दी मॉर्निग ड्रिंक के बारे में सोच रहे हैं, तो मेथी और अजवाइन का पानी फायदेमंद हो (healthy morning drink) सकता है। इस पानी को सुबह खाली पेट पीने से स्वास्थ्य समस्याएं दूर होने लगती हैं। अजवाइन और मेथी का पानी वजन कम करने, कब्ज को ठीक करने में लाभकारी होता है। इसके अलावा इस पानी को पीने से शरीर की रोग प्रतिरोधक (methi ajwain water for immunity) क्षमता भी बढ़ती है। जानें मेथी और अजवाइन का पानी पीने से होने वाले फायदे-


अजवाइन मेथी का पानी कैसे बनाये? (how to make ajwain methi water)

अगर आप रोज सुबह खाली पेट अजवाइन मेथी का पानी पीना चाहते हैं, तो आपको तैयारी रात को ही करनी पड़ेगी। इसके लिए 1 चम्मच अजवाइन और 1 चम्मच मेथी दाना रात को एक गिलास पानी में भिगोकर रख दें। सुबह इस पानी को छानकर खाली पेट पी जाएं। इस पानी को रोज पीने से वजन घटाने में मदद मिलती है। 


मेथी और अजवाइन की तासीर गर्म होती है, इसलिए सर्दियों में इस पानी को पीने से शरीर में गर्माहट भी बनी रहती है। इनकी तासीर गर्म होने की वजह से पित्त प्रकृति के लोगों को इसका सेवन डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए।


मेथी अजवाइन का पानी पीने के फायदे (methi ajwain water benefits)

मेथी अजवाइन का पानी पाने से सेहत को कई फायदे मिलते हैं। मेथी में प्रोटीन, वसा, कैल्शियम, आयरन, फाइबर, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, पोटैशियम, सोडियम, जिंक, कार्बोहाइड्रेट, एंटीऑक्सीडेंट, एंटी बैक्टीरियल और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। इसके अलावा अजवाइन में प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, आयरन और निकोटिनिक एसिड पाया जाता है। मेथी अजवाइन खाने से आप अपनी कई समस्याओं को दूर कर सकते हैं। जानें मेथी और अजवाइन का पानी पीने के फायदे (methi ajwain water benefits)-


वजन कम करे मेथी अजवाइन का पानी (methi ajwain water for weight loss)

मेथी अजवाइन का पानी वजन कम करने के लिए बेहतरीन घरेलू उपाय के तौर पर कार्य करता है। दरअसल, मेथी और अजवाइन में एंटी ऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो मेटाबॉलिज्म को मजबूत बनाते हैं। इसके साथ ही मेथी अजवाइन का पानी फैट बर्न करता है। अगर आप वजन कम करना चाहते हैं, तो इसे अपनी मॉर्निग ड्रिंक में शामिल कर सकते हैं। यह वेट लॉस ड्रिंक (weight loss drink) का काम करता है।


2. कब्ज से राहत दिलाए मेथी अजवाइन का पानी (how to get rid from constipation in hindi)

अगर आपको गैस, कब्ज और अपच की समस्या रहती है, तो सुबह खाली पेट मेथी अजवाइन का पानी पानी (methi aur ajwain ka pani) पी सकते हैं। इस पानी को पीने से बॉडी डिट्रॉक्स होती है। अजवाइन और मेथी में फाइबर होता है, जो कब्ज से राहत दिलाता है। वहीं इनमें मौजूद पोषक तत्व गैस निकालने में भी मदद करता है। इस डिटॉक्स ड्रिंक को अपनी डाइट में जरूर शामिल करें। इससे शरीर में जमा गंदगी, अपशिष्ट पदार्थ आसानी से निकल जाएंगे। इससे मतली जैसी समस्या भी ठीक होती है।


ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल करे (Control blood sugar level)

अस्वस्थ खान-पान और इनएक्टिव लाइफस्टाइल डायबिटीज का कारण बनता जा रहा है। आजकल अधिकतर लोगों को डायबिटीज है। अगर आपका ब्लड शुगर लेवल कंटोल में नहीं रहता है, तो आप मेथी अजवाइन का पानी पी सकते हैं। इससे शरीर में शुगर लेवल को कंट्रोल रखने में मदद मिलती है। इसके अलावा यह बैड कोलेस्ट्रॉल को भी कम करता है।


इसे भी पढ़ें - मेथी की चाय पीने से कम होगा बलगम, फेफड़ों (लंग्स) को हेल्दी रखने के तरीके जानें Luke Coutinho से


4. तनाव दूर करे मेथी अजवाइन का पानी

आजकल अधिकतर लोग तनाव, चिंता और एंग्जायटी का सामना कर रहे हैं। इसके साथ ही बॉडी स्ट्रेस भी एक समस्या है। अगर आप भी स्ट्रेस फील करते हैं, तो सुबह खाली पेट मेथी और अजवाइन का पानी पी सकते हैं। इस पानी में फाइबर, मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व होते हैं।


5. इम्यूनिटी बढ़ाए मेथी अजवाइन का पानी (methi ajwain water to boost your immunity)

मेथी और अजवाइन के पानी में विटामिन सी, आयरन, जिंक, एंटीऑक्सीडेंट और कैल्शियम भरपूर मात्रा में होता है। ऐसे में आप इस ड्रिंक को इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए भी पी सकते हैं। सर्दी में खाली पेट मेथी अजवाइन का पानी पीने (methi aur ajwain ka pani) से सर्दी, खांसी और जुकाम ठीक होता है। मेथी और अजवाइन का पानी इम्यूनिटी बढ़ाने का अच्छा उपाय है।


मेथी अजवाइन का पानी इम्यूनिटी बढ़ाने और ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने के साथ ही त्वचा के लिए भी फायदेमंद होता है। रोज इस ड्रिंक को पीने से रक्त साफ होता है। इसे पीने से कील-मुहांसे दूर होते हैं। झुर्रियों भी ठीक होती है।

Monday, December 20, 2021

मैथी दाना के फायदे

 *मेथी के बीज बढ़ा सकते हैं टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन, डॉक्टर से जानें पुरुषों के लिए इसे खाने के 5 फायदे*


पौष्टिक तत्वों से भरपूर न केवल खाने का स्वाद बढ़ाती है बल्कि इसका सेवन टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन लेवल भी बढ़ाता है। जानते हैं इसके अन्य लाभ।


पुरुषों के लिए मेथी के बीज के 5 फायदे-Fenugreek seeds benefits for men

1. स्पर्म क्वालिटी और वॉल्यूम को बढ़ाने में सहायक (Sperm Quality Gets Improve) 

स्पर्म और टेस्टोस्टेरॉन दोनों का उत्पादन पुरुष की टेस्टिकल द्वारा होता है। इसलिए इन दोनों में भी एक संबंध है। मेथी के बीजों का सेवन करने से स्पर्म क्वालिटी में भी सुधार आता है और इसकी वॉल्यूम भी बढ़ाता है। साथ ही लो टेस्टोस्टेरॉन लेवल में भी बढ़ोतरी होती है।


2. ब्लड शुगर लेवल नियंत्रण (Controls Blood Sugar)

मेथी के बीजों का सेवन करने से ब्लड शुगर लेवल में स्थिरता आती है जो इसे डायबिटिक लोगों के लिए एक अच्छा विकल्प बनाता है। ब्लड ग्लूकोज लेवल में भी मेथी के बीजों का सेवन करने से कमी देखने को मिली है। रेड ब्लड सेल्स के सर्कुलेशन में भी मेथी के बीज अहम भूमिका निभाते हैं।


3. मूड और एनर्जी बूस्टर (Improves Mood)

कई बार लो टेस्टोस्टेरॉन लेवल के कारण भी मूड स्विंग अधिक होते रहते हैं। मूड हमेशा चिड़चिड़ा और खराब रहता है। साथ ही एनर्जी में भी थोड़ी कमी महसूस होती है। मेथी के बीजों का सेवन करने से आपकी इमोशनल सेहत काफी अच्छी रहती है और इससे आपके हार्मोन्स में संतुलन पैदा होता है जिस कारण आपका मूड अच्छा रहता है।


4.बाल बढ़ाने में फायदेमंद (Good For Hair Health)

जब पुरुषों में टेस्टोस्टेरॉन लेवल कम होने लगते हैं तो उनके सिर से बाल उड़ना शुरू हो जाते हैं और बहुत से पुरुषों में तो गंजेपन का भी यही कारण होता है। मेथी के बीजों से यह प्रभाव कम हो सकता है और आपके हेयर फॉलिकल भी मजबूत हो सकते हैं। इस प्रकार के उम्र बढ़ने से जुड़े लक्षणों में मेथी के बीजों का सेवन करने से राहत पाई जा सकती है।


. स्ट्रेंथ और मसल मास बढ़ाता है (Increases Muscle Mass)

जिन पुरुषों में टेस्टोस्टेरॉन लेवल कम होता है उनका फिटनेस लेवल भी कम होना शुरू हो जाता है। इसी वजह से उनका मसल मास भी काफी कम होना शुरू हो जाता है। मेथी के बीजों का सेवन करने से आपके शरीर में टेस्टोस्टेरॉन लेवल बढ़ते हैं। जिससे आपका मसल मास भी बढ़ता है और आपके शरीर में मजबूती भी आती है।


5.मेथी के बीजों से मोटापा बढ़ने से भी बचा जा सकता है। हालांकि मेथी के बीजों का सेवन करने से कुछ लोगों को पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याएं होने लग जाती हैं। इसलिए आपको अपने डॉक्टर से राय लेकर ही इनका सेवन करना चाहिए और गर्भवती महिलाओं को मेथी के बीजों को अवॉइड करना चाहिए।

गाय के गोबर का महत्व

 आयुर्वेद ग्रंथों  में हमारे ऋषि मुनियों ने पहले ही बता दिया गया  था कि   *धोवन पानी पीने का वैज्ञानिक तथ्य और आज की आवश्यकता* वायुमण्डल में...