*तीनलोक के संपूर्ण अकृत्रिम चैत्यालय*
*१० भवनवासी संबंधी अकृत्रिम चैत्यालय*
👉असुरकुमार~देवों के भवनों में ६४ लाख चैत्यालय हैं।
👉नागकुमार~देवों के भवनों में ८४ लाख चैत्यालय हैं।
👉सुपर्णकुमार~देवों के भवनों में ७२ लाख चैत्यालय हैं।
👉द्वीपकुमार~देवों के भवनों में ७६ लाख चैत्यालय हैं।
👉दिक्कुमार~देवों के भवनों में ७६ लाख चैत्यालय हैं।
👉उदधिकुमार~देवों के भवनों में ७६ लाख चैत्यालय हैं।
👉स्तनिकुमार~देवों के भवनों में ७६ लाख चैत्यालय हैं।
👉विद्युतकुमार देवों के भवनोंमें ७६ लाख चैत्यालय हैं।
👉अग्निकुमार~देवों के भवनों में ७६ लाख चैत्यालय हैं।
👉वायुकुमार~देवों के भवनों में ९६ लाख चैत्यालय हैं।
👉भवनवासी देवों संबंधी अकृत्रिम चैत्यालय की सम्पूर्ण संख्या ७ करोड़ ७२ लाख है।
👉व्यंतर देवों संबंधी सम्पूर्ण अकृत्रिम चैत्यालय असंख्यात हैं।
👉इस प्रकार उर्ध्व लोक के अकृत्रिम चैत्यालय की संख्या ८४ ९७,०२३(चौरासी लाख सत्तानवें हजार तेईस) है।
👉मध्यलोक संबंधी सम्पूर्ण अकृत्रिम चैत्यालय की संख्या ४५८ है।
👉अधोलोक संबंधी संपूर्ण अकृत्रिम चैत्यालय की संख्या ७ करोड़ ७२ लाख है।
👉इस प्रकार ८४,९७,०२३+४५८+७,७२०००००=८ करोड़ ५६ लाख ९७ हजार ४८१ तीन लोकों के अकृत्रिम चैत्यालय हैं।
👉इन तीनों लोकों के अकृत्रिम चैत्यालय और उनमें विराजमान समस्त जिन~प्रतिमाओं को मेरा मन वचन काम से त्रिकाल में त्रिबार नमोस्तु
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