Monday, April 10, 2023

पंचायत के हालात चालाक मन समझदार गुरु

*चालाक मन, समझदार गुरु*           
                                    *पंचायतों की हालत*

जब आपके आसपास चालाक और लोभी लोग हों, तो उनसे काम करवाने के लिए आपको उनसे भी ज्यादा चतुर होना पड़ता है, तभी आप उनसे जीत सकते हैं। सूफी कहते हैं, ऐसे लोगों से काम सीधे नहीं करवाए जाते । चालाकी ही चालाकी को काट सकती है, लेकिन उसके लिए आपकी नजर पैनी होनी चाहिए। चालाक लोग बाहर से बहुत सज्जन दिखाई देते हैं। उन्हें पहचानना जरूरी है। फिर दिल में सद्भाव रखकर की गई चालाकी शुभ परिणाम लाती है। इस बात को समझाने के लिए ओशो एक सूफी कहानी कहते हैं। यह कहानी सूफी गुरु अपने शिष्यों के प्रशिक्षण में कहते हैं।

एक अमीर आदमी मरने से पहले एक वसीयत कर गया। वह न केवल अमीर था, वरन बुद्धिमान भी था । उसका बेटा केवल दस वर्ष का था, इसलिए उस अमीर व्यक्ति ने एक वसीयत बनाई, जिसमें उसने गांव के पांच बुजुर्गों की पंचायत को लिखा 'मेरी संपत्ति में से जो कुछ भी आपको सबसे अच्छा लगे, ले लो, फिर बाद में मेरे बेटे को दे दो।'

इच्छा सूर्योदय के समान स्पष्ट थी। पांचों बुजुर्गों ने सारी संपत्ति बांट ली। जो कुछ भी मूल्यवान था, उन्होंने आपस में बांट लिया। कुछ बचा ही नहीं सिवाय उसके, जो बेकार था। कोई उसे लेने को तैयार नहीं था, तो बच्चे को दे दिया गया। लेकिन मरते हुए आदमी ने बेटे के नाम भी एक चिट्ठी दी थी, जिसे उसे बड़े होने पर खोलना था। जब बच्चा बड़ा हुआ, तो उसने वह पत्र खोला, जिसमें उसके पिता ने लिखा था 'निस्संदेह, ये बुजुर्ग लोग वसीयत की व्याख्या अपने तरीके से करेंगे। जब तुम बालिग हो जाओ, तो यह पत्र उन लोगों को दिखाओ; यह मेरी व्याख्या है। मेरे कहने का मतलब यह है कि वह

सब ले लो, जो आपको सबसे ज्यादा पसंद है, और फिर जो आपको सबसे ज्यादा पसंद है, उसे मेरे बच्चे को दे दो। मैंने जो लिखा, उसमें यह शर्त है।

बेटे ने पंचायत के सामने पत्र पेश किया। उन्होंने कभी ऐसा अर्थ नहीं सोचा था, इसलिए उन्होंने सब कुछ आपस में बांट लिया था। लेकिन कानून के मुताबिक उन्हें सब कुछ वापस कर देना पड़ा, क्योंकि अब अर्थ

सूफी कहते हैं, धूर्त लोगों से काम सीधे नहीं करवाए जाते। ऐसे लोग बाहर से बहुत सज्जन दिखते हैं। उन्हें पहचानना जरूरी है । फिर दिल में सद्भाव रखकर की हुई चालाकी शुभ परिणाम लाती है ।

स्पष्ट हो गया था और लड़का लेने के लिए परिपक्व भी था। पिता ने अपने बेटे को यह भी लिखा था 'यह अच्छा है कि वे सब अपने तरीके से इसकी व्याख्या करें, क्योंकि अगर मैं तुम्हारी उचित उम्र से पहले इसे सीधे तुम्हें दे दूं, तो इसे इन बुजुर्गों द्वारा नष्ट किया जाएगा। इसलिए जब तक तुम इसे संभालने के योग्य नहीं हो जाते, तब तक अपनी संपत्ति मानकर उन्हें इसकी रक्षा करने दो। इससे दोहरा काम होगा, संपत्ति की सही देखभाल भी होगी और वक्त आने पर यह तुम्हें मिल भी जाएगी।'

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