परीक्षा में सफलता के योग ज्योतिष के अनुसार
परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन के लिए ज्योतिषीय मार्गदर्शन
परीक्षा का समय नजदीक आते ही STUDENTS के मन में अनजाना डर सा लगा रहता है और CONFIDENCE LEVEL काफी कम होता दीखता है कितनी ही मेहनत की हो NERVOUSNESS और EXAM FEVER हो जाता है । कई बार तो परीक्षा हॉल में उत्तर लिखते हुए कोई शब्द, वाक्य या फार्मूला जल्दी से याद नहीं आ पाता या भूल जाते है |
हर छात्र व उनके माता पिता की कामना होती है, कि वह परीक्षा में न केवल उत्तीर्ण हो, बल्कि उसे अच्छी सफलता भी मिले। कई बार बच्चों के कठिन परिश्रम के बाद भी उन्हें अपेक्षित परिणाम नहीं मिलता। तब यह बात सोचने पर मजबूर करती है के ऐसा क्यों हो रहा है |
ऐसे समय में जन्म कुंडली के ग्रहो को रोल काफी महत्वपूर्ण होता है |
ज्ञान, विज्ञान विद्या के क्षेत्र में ज्योतिष विज्ञान दृष्टि का कार्य करता है।
वेदचक्षुः क्लेदम् स्मृतं ज्योतिषम्।
आपकी जन्म–कुंडली का ज्योतिषीय विश्लेषण आपको सही प्रकार से मार्गदर्शन कर सकता है।
जन्म कुंडली के ग्रह आपके अध्ययन (Study ) में अनुकूल और प्रतिकूल परिस्थितिओं का निर्माण करते है।
किसी भी परीक्षा में सफलता की कुंजी है छात्र की योग्यता और कठिन परीश्रम। इन सब चीजों के साथ यदि जन्म कुंडली में ग्रहों की शुभता भी प्राप्त हो जाए तो सफलता की संभावनाएं और अधिक बढ़ जाती हैं।
परीक्षा में सफलता के लिए कुंडली के कई ग्रहो का रोल काफी महत्व रखता है |
ग्रहों की भूमिका
A मंगल से व्यक्ति में साहस और उत्साह की वृद्घि होती है जो परीक्षा में सफलता की प्राप्ति के लिये अत्यन्त आवश्यक है।
B सूर्य का सम्बन्ध आत्म विश्वास से है | सूर्य यदि पीड़ित, निर्बल अशुभ प्रभाव में हो तो आत्म बल कमजोर हो जाता है। इस कारण पढाई में मन काम लगता है |
C गुरु का सम्बन्ध ज्ञान से है |
D परीक्षा का संबंध स्मरणशक्ति से है, जो बुध की देन है। बुध की अशुभता के कारण विधार्थी में तर्क एवं कुशलता के कमी होती है
E परीक्षा भवन में मानसिक संतुलन एवं एकाग्रता का कारक है चंद्रमा | चंद्रमा की स्थिति विद्यार्थी के दृष्टिकोण को प्रभावित करती है ।
जन्म कुंडली के अनुसार परीक्षा में ऊच्च सफलता के ज्योतिषीय योग
1 ज्योतिषशास्त्र का मानना है जिनकी कुंडली में ज्ञान भाव (पंचम भाव), धन भाव (द्वितीय), आय, भाग्य और सुख भाव मजबूत व शुभ ग्रहों से युक्त या दृष्ट होते हैं, तो उन्हें सफलता मिलती है।
2 यदि जन्मकुंडली में बुधादित्य-योग, गजकेसरी-योग, सरस्वती-योग, शारदा-योग, हंस-योग, भारती-योग, शारदा लक्ष्मी योग हो तो जातक परीक्षा में अच्छी सफलता प्राप्त करता है एवेम उच्च शिक्षा प्राप्त करता है |
3 केंद्र स्थान में उच्च के गुरू, चंद्रमा, शुक्र या शनि हो तो जातक परीक्षा प्रतियोगिता में असफल नहीं होता है।
4 लग्नेश त्रिकोण में, धनेश एकादश में तथा पंचम भाव पंचमेश की शुभ दृष्टि हो तो जातक विद्वान होता है और प्रतियोगिता में सफलता पाता है।
5 पंचम भाव के स्वामी गुरू हों और दशम भाव के स्वामी शुक्र हों तथा गुरू दशम भाव में व शुक्र पंचम भाव में हो, तो सफलता प्राप्त होती है।
6 गुरू चंद्रमा के घर में तथा चंद्रमा गुरू के घर में साथ ही चंद्रमा पर गुरू की दृष्टि हो, तो सरस्वती योग बनता है |
7 केंद्र में किसी भी स्थान पर चंद्र-गुरू का गजकेशरी योग हो, तो ऎसा जातक बड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं में अवश्य सफल होता है।
8 कुंडली में क्षीण चंद्र हो तो शिक्षा में बाधा आती है। चन्दमा अशुभ होता है तो चंचल होता है इस कारण मन मस्तिष्क में स्थिरता और एकाग्रता को प्रभावित करता है |
क्या उपाय करें
माँ सरस्वती विद्या व ज्ञान की अधिष्ठात्री हैं। माँ सरस्वती की पूजा-आराधना से स्मरण शक्ति तीव्र होती है, सौभाग्य प्राप्त होता है, विद्या में कुशलता प्राप्त होती है।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नम:
इस मन्त्र के जाप से जन्मकुण्डली के लग्न (प्रथम भाव), पंचम (विद्या) और नवम (भाग्य) भाव के दोष भी समाप्त हो जाते हैं। इन तीनों भावों (त्रिकोण) पर श्री महाकाली, श्री महासरस्वती और श्री महालक्ष्मी का अधिपत्य माना जाता है। मां सरस्वती की कृपा से ही विद्या, बुद्धि, वाणी और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
कुशल ज्योतिषी की सलाह पर परीक्षा में अच्छे अंको के प्राप्ति के लिए जन्म कुंडली के सम्बंधित भाव , भावेश तथा कारक ग्रह से सम्बंधित ज्योतिषीय उपाय करने से सफलता की संभावनाएं और अधिक बढ़ जाती हैं।
पढ़ाई के साथ इन्हें भी अपनाएँ और अच्छे परिणाम पाए |
परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन के लिए ज्योतिषीय मार्गदर्शन
परीक्षा का समय नजदीक आते ही STUDENTS के मन में अनजाना डर सा लगा रहता है और CONFIDENCE LEVEL काफी कम होता दीखता है कितनी ही मेहनत की हो NERVOUSNESS और EXAM FEVER हो जाता है । कई बार तो परीक्षा हॉल में उत्तर लिखते हुए कोई शब्द, वाक्य या फार्मूला जल्दी से याद नहीं आ पाता या भूल जाते है |
हर छात्र व उनके माता पिता की कामना होती है, कि वह परीक्षा में न केवल उत्तीर्ण हो, बल्कि उसे अच्छी सफलता भी मिले। कई बार बच्चों के कठिन परिश्रम के बाद भी उन्हें अपेक्षित परिणाम नहीं मिलता। तब यह बात सोचने पर मजबूर करती है के ऐसा क्यों हो रहा है |
ऐसे समय में जन्म कुंडली के ग्रहो को रोल काफी महत्वपूर्ण होता है |
ज्ञान, विज्ञान विद्या के क्षेत्र में ज्योतिष विज्ञान दृष्टि का कार्य करता है।
वेदचक्षुः क्लेदम् स्मृतं ज्योतिषम्।
आपकी जन्म–कुंडली का ज्योतिषीय विश्लेषण आपको सही प्रकार से मार्गदर्शन कर सकता है।
जन्म कुंडली के ग्रह आपके अध्ययन (Study ) में अनुकूल और प्रतिकूल परिस्थितिओं का निर्माण करते है।
किसी भी परीक्षा में सफलता की कुंजी है छात्र की योग्यता और कठिन परीश्रम। इन सब चीजों के साथ यदि जन्म कुंडली में ग्रहों की शुभता भी प्राप्त हो जाए तो सफलता की संभावनाएं और अधिक बढ़ जाती हैं।
परीक्षा में सफलता के लिए कुंडली के कई ग्रहो का रोल काफी महत्व रखता है |
ग्रहों की भूमिका
A मंगल से व्यक्ति में साहस और उत्साह की वृद्घि होती है जो परीक्षा में सफलता की प्राप्ति के लिये अत्यन्त आवश्यक है।
B सूर्य का सम्बन्ध आत्म विश्वास से है | सूर्य यदि पीड़ित, निर्बल अशुभ प्रभाव में हो तो आत्म बल कमजोर हो जाता है। इस कारण पढाई में मन काम लगता है |
C गुरु का सम्बन्ध ज्ञान से है |
D परीक्षा का संबंध स्मरणशक्ति से है, जो बुध की देन है। बुध की अशुभता के कारण विधार्थी में तर्क एवं कुशलता के कमी होती है
E परीक्षा भवन में मानसिक संतुलन एवं एकाग्रता का कारक है चंद्रमा | चंद्रमा की स्थिति विद्यार्थी के दृष्टिकोण को प्रभावित करती है ।
जन्म कुंडली के अनुसार परीक्षा में ऊच्च सफलता के ज्योतिषीय योग
1 ज्योतिषशास्त्र का मानना है जिनकी कुंडली में ज्ञान भाव (पंचम भाव), धन भाव (द्वितीय), आय, भाग्य और सुख भाव मजबूत व शुभ ग्रहों से युक्त या दृष्ट होते हैं, तो उन्हें सफलता मिलती है।
2 यदि जन्मकुंडली में बुधादित्य-योग, गजकेसरी-योग, सरस्वती-योग, शारदा-योग, हंस-योग, भारती-योग, शारदा लक्ष्मी योग हो तो जातक परीक्षा में अच्छी सफलता प्राप्त करता है एवेम उच्च शिक्षा प्राप्त करता है |
3 केंद्र स्थान में उच्च के गुरू, चंद्रमा, शुक्र या शनि हो तो जातक परीक्षा प्रतियोगिता में असफल नहीं होता है।
4 लग्नेश त्रिकोण में, धनेश एकादश में तथा पंचम भाव पंचमेश की शुभ दृष्टि हो तो जातक विद्वान होता है और प्रतियोगिता में सफलता पाता है।
5 पंचम भाव के स्वामी गुरू हों और दशम भाव के स्वामी शुक्र हों तथा गुरू दशम भाव में व शुक्र पंचम भाव में हो, तो सफलता प्राप्त होती है।
6 गुरू चंद्रमा के घर में तथा चंद्रमा गुरू के घर में साथ ही चंद्रमा पर गुरू की दृष्टि हो, तो सरस्वती योग बनता है |
7 केंद्र में किसी भी स्थान पर चंद्र-गुरू का गजकेशरी योग हो, तो ऎसा जातक बड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं में अवश्य सफल होता है।
8 कुंडली में क्षीण चंद्र हो तो शिक्षा में बाधा आती है। चन्दमा अशुभ होता है तो चंचल होता है इस कारण मन मस्तिष्क में स्थिरता और एकाग्रता को प्रभावित करता है |
क्या उपाय करें
माँ सरस्वती विद्या व ज्ञान की अधिष्ठात्री हैं। माँ सरस्वती की पूजा-आराधना से स्मरण शक्ति तीव्र होती है, सौभाग्य प्राप्त होता है, विद्या में कुशलता प्राप्त होती है।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नम:
इस मन्त्र के जाप से जन्मकुण्डली के लग्न (प्रथम भाव), पंचम (विद्या) और नवम (भाग्य) भाव के दोष भी समाप्त हो जाते हैं। इन तीनों भावों (त्रिकोण) पर श्री महाकाली, श्री महासरस्वती और श्री महालक्ष्मी का अधिपत्य माना जाता है। मां सरस्वती की कृपा से ही विद्या, बुद्धि, वाणी और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
कुशल ज्योतिषी की सलाह पर परीक्षा में अच्छे अंको के प्राप्ति के लिए जन्म कुंडली के सम्बंधित भाव , भावेश तथा कारक ग्रह से सम्बंधित ज्योतिषीय उपाय करने से सफलता की संभावनाएं और अधिक बढ़ जाती हैं।
पढ़ाई के साथ इन्हें भी अपनाएँ और अच्छे परिणाम पाए |
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