*ज्योतिषीय भविष्यवाणियां जो कभी असत्य नहीं होती*
✍🏻यद्यपि ज्योतिष ऐसा उलझा हुआ विज्ञान है कि जिस में निपुणता प्राप्त करना बहुत कठिन विषय है। तथापि इसके कुछ स्थूल पक्ष भी हैं जिनको ज्योतिष के आलोचक अथवा पूर्ण रूप से अनभिज्ञ व्यक्ति भी सहज रूप में पहचान कर ज्योतिष की विज्ञान रूप में वैधता सत्यता को अंगीकार कर सकते हैं। ✍🏻
१.-यदि किसी जन्म कुंडली में चंद्र 10 वें अंक के साथ किसी भी घर में है तो उस व्यक्ति को जीवन में कम से कम एक बार भयंकर विफलता भोगनी पड़ेगी। यह अपराध इतना भयंकर होगा कि वह जनता में अपना मुंह दिखाने में भी संकोच अनुभव करेगा। स्पष्ट है कि मकर राशि के व्यक्ति के जीवन में उक्त भविष्यवाणी घटित होती ही है।
२.-जब कभी चंद्र के साथ (एक ही घर में) शनि और राहु अथवा राहु एवं मंगल जैसे दो दुष्ट ग्रह हो तो वह व्यक्ति मानसिक रूप से इतना परेशान होता है कि पूर्ण रूपेण पागल मालूम पड़ता है अथवा ऐसा अनुभव करता है कि वह पागल होने वाला है।
३.-शनि जब तुला लग्न में होता है। तब वह व्यक्ति विद्वान होता है तथा प्रथम श्रेणी का विद्यार्थी होता है।
४.-जब गुरु कर्क लग्न में होता है तो वह व्यक्ति विश्वास योग्य, उदार हृदय, सादा जीवन, स्पष्ट वक्ता, सत्य प्रिय तथा चारित्रिक शुद्धता और विद्वत्ता के लिए प्रख्यात होता है। यही परिणाम तब भी होते हैं जबकि गुरु पांचवे या नवे घर में होता है।
५.-यदि लग्न में किसी भी राशि में मंगल स्थित हो तो व्यक्ति शीघ्र क्रोधी स्वभाव का होता है।
६.-यदि कर्क लग्न में अथवा नवे घर में कर्क राशि में गुरु और चंद्र स्थित हो तो वह व्यक्ति महान नेता तथा सत्य का निडर पुजारी एवं महान ख्याति प्राप्त करता है।
७.-यदि मंगल किसी भी राशि में तीसरे घर में हो तो वह व्यक्ति बहादुर और साहसी होता है। तथा किसी भी युद्ध, संघर्ष अथवा लड़ाई में भाग लेने के लिए सहसा आगे बढ़ जाने से भयभीत नहीं होता है।
८.-यदि किसी भी घर में कर्क राशि में गुरु और चंद्र अथवा शुक्र और चंद्र एकत्र हैं तो संबंधित व्यक्ति अत्यंत सुंदर एवं स्वस्थ होगा।
९.-चंद्र और शनि का चौथे घर में इकट्ठा होना व्यक्ति के लिए शैशवावस्था और किशोरावस्था में घोर विपदाओं का फल देने वाला होता है। उत्तरोत्तर जीवन में भी यह संगति नौकरियों की अकस्मात हानि अथवा वित्तीय हानियों का कारण होती है.इत्यादि...!
✍🏻यद्यपि ज्योतिष ऐसा उलझा हुआ विज्ञान है कि जिस में निपुणता प्राप्त करना बहुत कठिन विषय है। तथापि इसके कुछ स्थूल पक्ष भी हैं जिनको ज्योतिष के आलोचक अथवा पूर्ण रूप से अनभिज्ञ व्यक्ति भी सहज रूप में पहचान कर ज्योतिष की विज्ञान रूप में वैधता सत्यता को अंगीकार कर सकते हैं। ✍🏻
१.-यदि किसी जन्म कुंडली में चंद्र 10 वें अंक के साथ किसी भी घर में है तो उस व्यक्ति को जीवन में कम से कम एक बार भयंकर विफलता भोगनी पड़ेगी। यह अपराध इतना भयंकर होगा कि वह जनता में अपना मुंह दिखाने में भी संकोच अनुभव करेगा। स्पष्ट है कि मकर राशि के व्यक्ति के जीवन में उक्त भविष्यवाणी घटित होती ही है।
२.-जब कभी चंद्र के साथ (एक ही घर में) शनि और राहु अथवा राहु एवं मंगल जैसे दो दुष्ट ग्रह हो तो वह व्यक्ति मानसिक रूप से इतना परेशान होता है कि पूर्ण रूपेण पागल मालूम पड़ता है अथवा ऐसा अनुभव करता है कि वह पागल होने वाला है।
३.-शनि जब तुला लग्न में होता है। तब वह व्यक्ति विद्वान होता है तथा प्रथम श्रेणी का विद्यार्थी होता है।
४.-जब गुरु कर्क लग्न में होता है तो वह व्यक्ति विश्वास योग्य, उदार हृदय, सादा जीवन, स्पष्ट वक्ता, सत्य प्रिय तथा चारित्रिक शुद्धता और विद्वत्ता के लिए प्रख्यात होता है। यही परिणाम तब भी होते हैं जबकि गुरु पांचवे या नवे घर में होता है।
५.-यदि लग्न में किसी भी राशि में मंगल स्थित हो तो व्यक्ति शीघ्र क्रोधी स्वभाव का होता है।
६.-यदि कर्क लग्न में अथवा नवे घर में कर्क राशि में गुरु और चंद्र स्थित हो तो वह व्यक्ति महान नेता तथा सत्य का निडर पुजारी एवं महान ख्याति प्राप्त करता है।
७.-यदि मंगल किसी भी राशि में तीसरे घर में हो तो वह व्यक्ति बहादुर और साहसी होता है। तथा किसी भी युद्ध, संघर्ष अथवा लड़ाई में भाग लेने के लिए सहसा आगे बढ़ जाने से भयभीत नहीं होता है।
८.-यदि किसी भी घर में कर्क राशि में गुरु और चंद्र अथवा शुक्र और चंद्र एकत्र हैं तो संबंधित व्यक्ति अत्यंत सुंदर एवं स्वस्थ होगा।
९.-चंद्र और शनि का चौथे घर में इकट्ठा होना व्यक्ति के लिए शैशवावस्था और किशोरावस्था में घोर विपदाओं का फल देने वाला होता है। उत्तरोत्तर जीवन में भी यह संगति नौकरियों की अकस्मात हानि अथवा वित्तीय हानियों का कारण होती है.इत्यादि...!
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