ताँबे का आयुर्वेदिक एवं ज्योतिषी प्रभाव
आयुर्वेद में ऐसी मान्यता है कि तांबे के बर्तन का पानी तीन दोषों वात, कफ और पित्त को संतुलित रखकर आपके पेट और गले से जुड़ीं बीमारियों को काफी हद तक ठीक करने में मदद करता है। आपको रोजाना सुबह खाली पेट तांबे के बर्तन में रखा पानी पीना चाहिए।
*पुराने समय में लोग ताँबे के सिक्कों को नदी में डालने की सलाह देते थे जिससे नदी का प्रदूषण समाप्त हो जाता था ।*
*जब भारत में बहुत वर्षों पहले महामारी फ्लू के रुप में आई थी तब लोगों ने ताम्र के पात्रों का प्रयोग किया और महामारी को हराया भी क्योंकि तांबा ही ऐसी धातु है जो सबसे ज्यादा एंटी ऑक्सीडेंट है जिस पर किसी भी विषाणु का प्रभाव नहीं पड़ता ।अब यही बात ब्रिटेन के वैज्ञानिक की-बिल भी अपनी रिसर्च में कह रहे हैं कि covid-19 ही नहीं अपितु उसके परिवार के अन्य विषाणु भी यदि ताँबे के संपर्क में आते हैं तो उनका प्रभाव ताँबे के संयोग से नष्ट हो जाता है*।
*कोरोना वायरस के अलग-अलग सतहों पर जिंदा रहने के समय को लेकर दुनियाभर में लगातार शोध चल रहे हैं. शोधकर्ताओं ने पिछले महीने दावा किया था कि न्यू नोवल कोरोना वायरस (Coronavirus) कांच,* प्लास्टिक और स्टील पर कुछ दिन तक जिंदा रह सकते है. वहीं, तांबे (Copper) की सतह पर कुछ ही घंटों में खत्म हो जाता है. ये बात ब्रिटेन में माइक्रोबायोलॉजी (Microbiology) के रिसर्चर कीविल (Keevil) को कुछ ठीक नहीं लगी. वह ये सोच रहे थे कि कोरोना वायरस तांबे की सतह पर कई घंटे तक कैसे जिंदा रह सकता है*
कीविल दो दशक से ज्यादा समय से तांबे के एंटी-माइक्रोबियल (Antimicrobial) प्रभावों का अध्ययन कर रहे हैं. उन्होंने अपनी प्रयोगशाला में मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (MERS) और स्वाइन फ्लू (H1N1) के वायरस पर तांबे के असर का परीक्षण किया है. हर बार तांबे के संपर्क में आने के कुछ ही मिनटों में वायरस खत्म हो गया. वह कहते हैं कि तांबे के संपर्क में आने के कुछ ही मिनट में वायरस की धज्जियां उड गईं.*
*तांबे की सतह बिना साफ किए भी खत्म करती है वायरस
कीविल ने 2015 में COVID-19 वायरस के परिवार के ही कोरोना वायरस 229E पर ध्यान दिया. ये वायरस संक्रमित व्यक्ति में जुकाम और निमोनिया की शिकायत होती है. कीविल ने जब इस कोरोना वायरस का तांबे की सतह से संपर्क कराया तो यह भी मिनटों में खत्म हो गया, जबकि ये स्टेनलेस स्टील और कांच पर 5 दिन तक जिंदा रहा.*
आइए, जानते हैं इसके फायदे-
डाइजेशन सिस्टम को मजबूत करता है
तांबा पेट, लिवर और किडनी सभी को डिटॉक्स करता है। इसमें ऐसे गुण मौजूद होते हैं जो पेट को नुकसान पहुंचाने वाले बैक्टिरिया को मार देते हैं, जिस वजह से पेट में कभी भी अल्सर और इंफ्केशन नहीं होता।
अर्थराइटिस और जोड़ों के दर्द से दे राहत
तांबे में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज़ दर्द से राहत दिलाती है, इसलिए अर्थराइटिस और जोड़ों के दर्द से परेशान लोगों को जरूर पीना चाहिए। इसके साथ ही तांबा हड्डियों और रोग प्रतिरोध प्रतिरोधक क्षमता को भी स्ट्रॉंग बनाता है।
तांबे में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स चेहरे की फाइन लाइन्स और झाइयों को खत्म करता है। साथ ही फाइन लाइन्स को बढ़ाने वाले सबसे बड़े कारण यानी फ्री रेडिकल्स से बचाकर स्किन पर एक सुरक्षा लेयर बनाता है, जिस वजह से आप लंबे समय तक जवां रहते हैं।
वजन कम करने में कारगर
अगर आपको जल्दी वजन कम करना है, तो तांबे के बर्तन का पानी पिएं। इससे आपके डाइजेस्टिव सिस्टम को बेहतर कर बुरे फैट को शरीर से बाहर निकालता है।
दिमाग को तेज करने में मददगार
मस्तिष्क को उत्तेजित कर उसे सक्रिय बनाए रखने में तांबे का पानी बहुत सहायक होता है। इसके प्रयोग से स्मरणशक्ति मजबूत होती है और दिमाग तेज होता है।
ऐसे करें इसका इस्तेमाल
आयुर्वेद ही नहीं, विज्ञान ने भी तांबे के बर्तन में रखा पानी पीना लाभकारी बताया है। इस पानी का पूरी तरह से लाभ तभी मिलता है, जब तांबे के बरतन में कम से कम 8 घंटे तक पानी रखा जाए। इसलिए लोग रात को तांबे के बर्तन में पानी भरकर सोते हैं, जिससे सुबह उठकर सबसे पहले इस पानी का सेवन कर सकें।
तांबे का ज्योतिषीय प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों की दृष्टि सहित ये ग्रह किसके साथ बैठे हैं, उसका आपके जीवन पर खास प्रभाव पड़ता है। इन्हीं के प्रभावों को बढ़ाने या कम करने की दृष्टि से तमाम तरह के रत्नों को धारण करने के लिए कहा जाता है। वहीं एक खास बात और है कि केवल रत्न ही नहीं बल्कि विभिन्न धातुएं भी सबको खास प्रभावित करती हैं।
किसी भी धातु पर उस ग्रह का प्रभाव होता है जो उस धातु से जुड़ा माना गया है। जैसे सोना बृहस्पति तो चांदी आपके चंद्र को प्रभाव देती है, वहीं लोहा शनि को...
इसकी के चलते आज हम आपको तांबे का आपके जीवन में असर बताने जा रहे हैं। हिंदूधर्म की मान्यताओं के अनुसार सोना और तांबा शुद्ध धातु माने गए हैं। तांबा एक ऐसी धातु है जिसे ज्योतिष और विज्ञान दोनों में मान्यता है। ऐसे में माना जाता है कि तांबा धारण करने से या इस्तेमाल करने से कई बीमारियों से बचा रहता है।
जानकारों के अनुसार तांबा एक ऐसी धातु है जो पानी से लेकर हर चीज में मौजूद कीटाणुओं को खत्म कर देता है। इसीलिए ज्योतिष में नौ ग्रहों के बारे में बताया गया है, साथ ही हर ग्रह के लिए किसी एक धातु को विशेष मान्यता दी गई है।
वहीं तांबे को सूर्य व मंगल दोनों से जुड़ा माना जाता है। ऐसे में इसकी अंगूठी कई लिहाज से लाभदायक मानी जाती है। इसके साथ ही तांबा वास्तु के अनुसार भी फायदेमंद माना जाता है। ऐसे में स्वास्थ्य और त्वचा के लिए भी तांबा खास है। जानकारों के अनुसार नाखून और त्वचा से जुड़ी बीमारियों को ठीक और स्वस्थ्य करने में तांबा महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
तांबे और सूर्य का ज्योतिष अनुसार एक जोड़ बताया गया है, तांबे की अंगूठी से समाज में प्रभाव बढ़ता है। जिसमें ज्योतिष मानते हैं कि इससे घर-परिवार में मान-सम्मान बढ़ता है। इसके अलावा तांबे का प्रभाव आपके मंगल पर भी पड़ता है।
हिंदूधर्म में तांबे को सभी धातुओं में सबसे अधिक शुद्ध माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार तांबे की बनी अंगूठी के अनेकों स्वास्थ्य लाभ होते हैं क्योंकि तांबे को सूर्य व मंगल दोनों की धातु माना गया है। तांबे की अंगूठी पहनने से व्यक्ति को धार्मिक लाभ के साथ अनेकों स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं.
ये है खास फायदे...
खून की सफाई : तांबे की अंगूठी पहनने से माना जाता है कि रक्त का प्रवाह सुचारु रूप से चलता है। इससे खून से प्रदूषित तत्व भी दूर होते हैं जिससे हृदय रोगों की संभावना कम हो जाती है।
मानसिक तनाव में कमी :
वहीं ये भी माना जाता हे कि तांबे की अंगूठी या तांबे का छल्ला पहनने से मानसिक और शारीरिक तनाव में कमी आती है। इससे गुस्से को नियंत्रण में रखने में भी सहायता मिलती है।
त्वचा रोगों से मुक्ति : त्वचा आदि से संबंधित रोग होने पर तांबे की बनी अंगूठी या छल्ला पहनने से त्वचा के रोगों में बहुत तीव्रता से आराम मिलता है।
शरीर का तापमान :
तांबे के आभूषणों को पहनने के संबंध में कहा जाता है कि इससे शरीर का तापमान नियंत्रण में बना रहता है और साथ ही इससे शरीर में ऊर्जा का उत्पादन जरूरत के अनुसार होता रहता है।
प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत :
यह भी कहा जाता है कि तांबे के गहने जैसे अंगूठी, छल्ले या नथुनी आदि पहनने से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली भी मजबूत बनी रहती है। प्रतिरक्षा प्रणाली के मजबूत होने से एलर्जी आदि समस्याओं के सुरक्षा हो जाती है।
कॉपर की कमी दूर करें : जानकारों का यह भी कहना है कि शरीर में कॉपर की समस्या आदि होने पर तांबे की अंगूठी पहनने से शरीर में कॉपर की समस्या दूर हो जाती है। तांबे की अंगूठी या फिर तांबे या कड़ा पहनने से इसके गुण त्वचा के द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है औऱ शरीर में कॉपर की कमी आसानी से पूरी हो जाती है।
हड्डियों का दर्द कम:
जानकारों की माने तोकॉपर का कड़ा या ब्रेसलेट पहनने से शरीर के जोड़ों और गठिया से जुड़े हर तरह के दर्द से आराम मिलता है। इसके अलावा तांबा आर्थराइटिस के मरीजों के लिए भी बहुत लाभकारी होता है।
आजकल घुटने का दर्द उम्र देखकर नहीं होता है कम उम्र से ही बच्चे इस दर्द से जूझ रहे है, तो ऐसे में कॉपर ब्रेसलेट पहनने से आपको राहत मिल सकती है।
स्वस्थ हृदय :
यह भी कहा जाता है कि यदि आप अपने हृदय को हमेशा स्वस्थ रखना चाहते हैं और हृदय से जुड़ी बिमारियों से दूर रहना चाहते हैं, तो कॉपर ब्रेसलेट को हमेशा अपने हाथों में पहने रखें।
हीमोग्लोबिन वृद्धि में सहायक: जानकारों का तो यहां तक कहना है कि तांबे के अनेक फायदे है, कॉपर अन्य मेटल के टॉक्सिक इफ़ेक्ट को कम करता है और हीमोग्लोबिन बनाने वाले एंजाइम को बढ़ाने में हेल्प करता है।
कॉपर में एंटी-ऑक्सीडेंट अधिक मात्रा में होती है इसके अलावा इसके आभूषण धारण करने से आपकी बढती उम्र का असर भी कम होता है। कॉपर को पहनने से एक अलग लुक नजर आता है।
तांबे की अंगूठी के रहस्य!...
तांबे की अंगूठी रिंग फिंगर यानी की सूर्य की उंगली में पहनना चाहिए इसे शुभ माना जाता है। माना जाता है कि इस उंगली में तांबा धारण करने से सूर्य से जुड़े हुए सभी दोष खत्म हो जाते हैं। इसके साथ ही किसी व्यक्ति की पर यदि मंगल की क्रूर दशा हो, तो उसके लिए तांबा लाभकारी है इससे मंगल के प्रभाव समाप्त हो जाते हैं।
तांबा लगातार त्वचा के संपर्क में बना रहता है जिसके कारण त्वचा में चमक आती है। आयुर्वेद के अनुसार तांबे के बर्तनों का उपयोग हमारे इम्यून सिस्टम को ठीक करता है। इसी तरह तांबे की अंगूठी भी स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती है। तांबे की अंगूठी से ब्लड प्रेशर कंट्रोल होता है। शरीर में आई सूजन को तांबे अंगूठी कम कर सकती है।
सूर्य से जुड़ी समस्या : ज्योतिष के जानकारों के अनुसार यदि जातक की कुंडली में सूर्य दोष हो तो व्यक्ति कठिन मेहनत के बाद भी उसका पर्याप्त लाभ नहीं पाता है।
हर काम में उसे बेवजह की अड़चनों का सामना करना पड़ता है और बार-बार सामजिक सम्मान में कमी के हालात पैदा होते हैं। तांबे की अंगूठी पहने से व्यक्ति के सूर्य दोष दूर होते हैं।
इसलिए अगर कमजोर सूर्य के कारण जीवन में परेशानियां आप कम नहीं कर पा रहे तो ऐसे में यह अंगूठी पहनें। बहुत जल्द आपको इसका असर दिखेगा, आपको मान-सम्मान और प्रसिद्धि मिलेगी।
गुस्से का उपाय :
ज्यादातर लोग जो अधिक गुस्से का शिकार होते हैं या जो शॉर्ट टेंपर्ड होते हैं उन्हें मोती पहनने की सलाह दी जाती है। लेकिन बहुत कम लोग ही जानते हैं कि तांबे की अंगूठी भी गुस्सा कंट्रोल करने में उतना ही कारगर है, क्योंकि इसका संबंध मंगल से भी है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह शांत प्रकृति का है और गर्मी दूर करता है। इसलिए व्यक्ति के मानसिक स्थिति को संतुलित कर गुस्सा शांत करता है।
वास्तु दोषों से मुक्ति :
वास्तु के जानकारों की माने तो आप इसके प्रभाव से वास्तु दोषों को दूर कर मुक्त हो सकते हैं। शुद्धक होने के कारण आप अगर इसे किसी भी रूप में शरीर पर धारण करते हैं तो आप जहां भी जाते हैं ये उस स्थान को वास्तु दोषों के प्रभाव से मुक्त करता है।
तांबे के औषधीय गुण: माना जाता है कि तांबा शरीर को संक्रमण से सुरक्षित रखता है। यह रक्त शुद्ध करता है, इससे शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। इसके अलावा पेट की बीमारियों, डायरिया और पीलिया में भी यह विशेष लाभकारी माना गया है।
रक्तचाप और सूजन :
कहा जाता है कि तांबे को आप किसी भी प्रकार से पहनें यह त्वचा के द्वारा शरीर में अवशोषित होता है और खून में इसकी कमी की आपूर्ति करता है।
शरीर में रक्त का बहाव नियंत्रित करने के कारण यह इसके उच्च और निम्न दाब को भी संतुलन में रखता है। इस प्रकार हाई ब्लड प्रेशर या लो ब्लड प्रेशर की परेशानियों को भी दूर करता है। यह शरीर में सूजन को भी दूर करता है।
ऐसे पड़ता है तांबे का शरीर और ग्रहों पर असर...
जानकारों के अनुसार तांबा हमारे शरीर को कई प्रकार से प्रभावित करता है। ये केवल वास्तु दोषों या आपकी कुंडली के प्रभावों में अंतर लाता है, बल्कि यह तो सीधे तौर से आपके शरीर पर भी अपना असर छोड़ता है।
- ताम्बे के प्रयोग से शरीर शुद्ध होता है।
- इसके साथ ही साथ शरीर से सारा विष बाहर निकल जाता है।
- यह मंगल को मजबूत करके रक्त को ठीक करता है।
- साथ ही यह सूर्य को मजबूत करके उत्साह में वृद्धि कर देता है।
- यह पाचन तंत्र को काफी अच्छा कर देता है।
- पेट की समस्याओं से निजात दिलाता है।
ऐसे करें तांबे का प्रयोग?
- तांबे का छल्ला अनामिका अंगुली में धारण करें।
- इससे सूर्य और चन्द्रमा दोनों मजबूत होते हैं, साथ ही मंगल भी प्रभावित होते हैं। साथ ही आत्मविश्वास, साहस और स्वास्थ्य अच्छा होने के अलावा रक्त संबंधी समस्याओं में भी लाभ देता है।
- तांबे को कमर में भी पहन सकते हैं, इससे नाभि और हार्मोन्स की समस्या में सुधार होता है।
- तांबे का सिक्का गले में धारण करने से दुर्घटनाओं से बचाव होता है।
- तांबे के पात्र का पानी पीने से शरीर विषमुक्त होता है, - पेट सम्बन्धी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
तांबे के प्रयोग में ये रखें सावधानियां...
- तांबे जितना शुद्ध हो उतना ही अच्छा होगा।
- तांबे के साथ सोना मिश्रित करके पहनना और भी अच्छा होता है।
- अगर तांबे के बर्तन प्रयोग करते हैं, तो नियमित उनकी सफाई करते रहें।
- जिन लोगो को क्रोध की समस्या है, उन्हें सोच समझकर तांबे पहनना चाहिए।
- मेष, सिंह और धनु राशि के लिए तांबे हमेशा शुभ माना जाता है।
- वृष, कन्या और मकर राशि के लिए तांबे बहुत अनुकूल नहीं माना जाता।
- जबकि बाकी राशियों के लिए तांबे साधारण माना
कोरोना वायरस के अलग-अलग सतहों पर जिंदा रहने के समय को लेकर दुनियाभर में लगातार शोध चल रहे हैं. शोधकर्ताओं ने पिछले महीने दावा किया था कि न्यू नोवल कोरोना वायरस (Coronavirus) कांच, प्लास्टिक और स्टील पर कुछ दिन तक जिंदा रह सकते है. वहीं, तांबे (Copper) की सतह पर कुछ ही घंटों में खत्म हो जाता है. ये बात ब्रिटेन में माइक्रोबायोलॉजी (Microbiology) के रिसर्चर कीविल (Keevil) को कुछ ठीक नहीं लगी. वह ये सोच रहे थे कि कोरोना वायरस तांबे की सतह पर कई घंटे तक कैसे जिंदा रह सकता है.
कीविल दो दशक से ज्यादा समय से तांबे के एंटी-माइक्रोबियल (Antimicrobial) प्रभावों का अध्ययन कर रहे हैं. उन्होंने अपनी प्रयोगशाला में मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (MERS) और स्वाइन फ्लू (H1N1) के वायरस पर तांबे के असर का परीक्षण किया है. हर बार तांबे के संपर्क में आने के कुछ ही मिनटों में वायरस खत्म हो गया. वह कहते हैं कि तांबे के संपर्क में आने के कुछ ही मिनट में वायरस की धज्जियां उड गईं.
तांबे की सतह बिना साफ किए भी खत्म करती है वायरस
कीविल ने 2015 में COVID-19 वायरस के परिवार के ही कोरोना वायरस 229E पर ध्यान दिया. ये वायरस संक्रमित व्यक्ति में जुकाम और निमोनिया की शिकायत होती है. कीविल ने जब इस कोरोना वायरस का तांबे की सतह से संपर्क कराया तो यह भी मिनटों में खत्म हो गया, जबकि ये स्टेनलेस स्टील और कांच पर 5 दिन तक जिंदा रहा.
उनके मुताबिक, ये दुर्भाग्य ही है कि हमने साफ दिखने के कारण साार्वजनिक और सबसे ज्यादा टच की जाने वाली जगह पर स्टेनलेस स्टील को ही तव्वजो दी. लेकिन, यहां सवाल ये है कि निश्चित तौर पर स्टील बाकी धातुओं के मुकाबले साफ दिखता है, लेकिन हम उसे कितनी बार स्वच्छ करते हैं. ऐसे में ये संक्रमण फैला सकता है. वहीं, तांबे की सतह को बार-बार साफ करने की जरूरत नहीं होती है. ये बिना साफ किए भी अपने संपर्क में आने वाले वायरस या बैक्टिरिया को खत्म कर देता है.
'तांबे से प्राचीन काल के इलाज पर आधुनिक मुहर है शोध'
मेडिकल यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ कैरोलिना में माइक्रोबायोलॉजी और इम्यूनोलॉली के प्रोफेसर माइकल जी. श्मिट कहते हैं कि कीविल का काम तांबे के जरिये प्राचीन काल के इलाज पर आधुनिक शोध की मुहर है. वह कहते हैं कि लोग जर्म्स या वायरस को जानने से बहुत ही तांबे की कई बीमारियों के इलाज करने की क्षमता को पहचान गए थे. वह कहते हैं कि तांबा मानव को प्रकृति का वरदान है.
वह बताते हैं कि कीविल की टीम ने न्यूयॉर्क शहर के ग्रैंड सेंट्रल टर्मिनल की पुरानी रेलिंग का परीक्षण किया था. इस रेलिंग का कॉपर आज भी उसी तरह काम कर रहा है, जैसे 100 साल पहले करता था. तांबे का एंटी-माइक्रोबियल प्रभाव कभी खत्म नहीं होता है. तांबे के बारे में प्राचीन काल के लोग जो कुछ जानते थे, आज के वैज्ञानिक और संस्थाएं सिर्फ उनकी पुष्टि कर रहे हैं. पर्यावरण संरक्षण एजेंसी ने 400 कॉपर सरफेस को एंटी-माइक्रोबियल सतह के तौर पर रजिस्टर किया है.
शोध: 58 फीसदी लोगों को नहीं हुआ अस्पताल में
प्रोफेसर माइकल का कहना है कि सोने (Gold) और चांदी (Silver) जैसी भारी धातुएं एंटी-बैक्टिरियल होती हैं, लेकिन तांबा वायरस को भी खत्म कर सकता है. कीविल बताते हैं कि वायरस या बैक्टिरिया तांबे की सतह पर आने के कुछ ही मिनट में खत्म हो जाते हैं. ये ठीक वैसा ही है जैसे कोई बाहरी चीज नजर आते ही मिसाइल उस पर हमला कर दे और कुछ ही देर में उसे नष्ट कर दे. डॉ. माइकल ने शोध किया कि तांबे को अस्पताल (Hospitals) में उस जगह लगाने से संक्रमण पर क्या असर होगा, जिसे लोग बार-बार छूते हों.
मेडिकल यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ कैरोलिना में माइक्रोबायोलॉजी और इम्यूनोलॉली के प्रोफेसर माइकल जी. श्मिट ने अस्पतालों में बार-बार छुई जाने वाली जगहों पर कॉपर का इस्तेमाल कर संक्रमण पर असर का शोध किया.
सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल (CDC) के मुताबिक हर संक्रमित के इलाज पर करीब 50 हजार डॉलर खर्च होता है. डॉ. माइकल के शोध को रक्षा विभाग (DOD) ने स्पॉन्सर किया. डॉ. माइकल ने 3 अस्पतालों की स्टेयर्स की रेलिंग के साथ ही ट्रे टेबल्स और कुर्सियों के हैंडल्स पर तांबे की परत का इस्तेमाल किया. करीब 43 महीने चले शोध में पता चला कि रुटीन इंफेक्शन प्रोटोकॉल का पालन करने वाले अस्पतालों के मुकाबले इन तीनों अस्पतालों में लोगों को संक्रमण 58 फीसदी कम हुआ.
सार्वजनिक जगहों पर तांबे के इस्तेमाल से इंफेक्शन का खतरा कम
जीका वायरस आने के बाद रक्षा विभाग का ध्यान उस पर चला गया तो डॉ. माइकल का शोध रुक गया. इसके बाद डॉ. माइकल ने एक मैन्युफैक्चरर के साथ काम करना शुरू किया, जो अस्पतालों के लिए बेड बनाता था. उन्होंने दो साल के अध्ययन के बाद अपनी रिपोर्ट जारी की. इसमें बताया गया कि जिन बेड में कॉपर की रेलिंग का इस्तेमाल किया गया था, उन पर मरीजों को संक्रमण के खतरे की दर 9 फीसदी रही, जबकि प्लास्टिक की रेलिंग वालों को इसका जोखिम 90 फीसदी रहा.
एक अन्य अध्ययन से पता चला कि अगर आप किसी अस्पताल में या सार्वजनिक जगह पर तांबे का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करते हैं तो वहां संक्रमण फैलने की आशंका बहुत कम हो जाती है क्योंकि ये हर समय अपने काम में लगी रहती है. ऐसा नहीं है कि तांबे की सतह का इस्तेमाल करने के बाद आपको सफाई की जरूरत नहीं है, लेकिन आने वहां कुछ ऐसा लगा दिया है जो हर वक्त वायरस और बैक्टिरिया को खत्म कर रहा है. डॉ. माइकल और कीविल कहते हैं कि इन तमाम शोध के बाद भी कोविड-19 से बचाव के लिए लोगों को बार-बार साबुन से अपने हाथ धोते रहना है.