Friday, April 23, 2021

णमो उवज्झायाणं के जप से शक्ति का सृजन करिए

 *णमो उवज्झायाणं की जाप का अनुष्ठान का प्रभाव*


मंत्र शास्त्रों के अनुसार  बीजाक्षरों का प्रभाव 


 ✍️ ©डॉ आशीष जैन शिक्षाचार्य

संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष ,संस्कृत विभाग एकलव्य विश्वविद्यालय दमोह मध्य प्रदेश 


मैं केवल अभी णमो उवज्झायाणं मंत्र का बीजाक्षरी प्रभाव को लिख रहा हूँ । जो कि अभी बहुत कार गार है । 

कोरोना काल में इसका आराधन सकारात्मकता भर देगा । जो हमारी धमनियों मांशपेशियों एवं मस्तिष्क को एकाग्र कर चित्त में स्थिरता प्रदान करेगा । हर बीमारी का उपचार भगवान महावीर स्वामी ने वचनं ओषधि बताया है। अतः सभी को धैर्य के वचनों से ,सकारात्मक ऊर्जा रूप वचनों से,सम्बल के वचनों से अभिसिंचित करें ।किसी का मनोबल ना गिरने दें यही उपचार जीवनरक्षक ,जीवन दायक है । साथ ही इस मंत्र का जाप करें । चाहे तो आप सम्पूर्ण णमोकार मंत्र की जाप करें । मैंने तो केवल णमोकार के एक अंश का बीजाक्षर सहित प्रभाव एवं फल को बताया है ।

इसको पूर्ण स्वासोच्छवास के साथ अभ्यास में लाएं

नमो शब्द पर स्वांस ऊपर को लें थोड़ा रुकें एवं उवज्झायाणं पर छोड़ें।

पुनः ऐसा करें ।जितनी बार कर सकें उतनी बार करें ।



ण= शांति सूचक, शक्ति का केंद्र

म= लौकिक अलौकिक सिद्धि दायक

ओ=कार्य साधक , निर्जरा कारक

उ =विशेष शक्ति प्रदायक ,

व= विपत्ति रोधक, रोग शामक एवं रोग हर्ता

ज=आधि व्याधि 

 झा= सर्व व्याधि नाशक ,शक्ति संचयक 

य=  शांति प्रदायक

अ =शक्ति द्योतक 

ण= शांति सूचक, शक्ति स्फोटक 

म =सिद्धिदायक


सभी लोग आराधना अवश्य करें ।

एक मंत्र जो आपको बीमारी से बचा सकता है

 *णमो उवज्झायाणं की जाप का अनुष्ठान का प्रभाव*


मंत्र शास्त्रों के अनुसार  बीजाक्षरों का प्रभाव 


 ✍️ ©डॉ आशीष जैन शिक्षाचार्य

संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष ,संस्कृत विभाग एकलव्य विश्वविद्यालय दमोह मध्य प्रदेश 


मैं केवल अभी णमो उवज्झायाणं मंत्र का बीजाक्षरी प्रभाव को लिख रहा हूँ । जो कि अभी बहुत कार गार है । 

कोरोना काल में इसका आराधन सकारात्मकता भर देगा । जो हमारी धमनियों मांशपेशियों एवं मस्तिष्क को एकाग्र कर चित्त में स्थिरता प्रदान करेगा । हर बीमारी का उपचार भगवान महावीर स्वामी ने वचनं ओषधि बताया है। अतः सभी को धैर्य के वचनों से ,सकारात्मक ऊर्जा रूप वचनों से,सम्बल के वचनों से अभिसिंचित करें ।किसी का मनोबल ना गिरने दें यही उपचार जीवनरक्षक ,जीवन दायक है । साथ ही इस मंत्र का जाप करें । चाहे तो आप सम्पूर्ण णमोकार मंत्र की जाप करें । मैंने तो केवल णमोकार के एक अंश का बीजाक्षर सहित प्रभाव एवं फल को बताया है ।



ण= शांति सूचक, शक्ति का केंद्र

म= लौकिक अलौकिक सिद्धि दायक

ओ=कार्य साधक , निर्जरा कारक

उ =विशेष शक्ति प्रदायक ,

व= विपत्ति रोधक, रोग शामक एवं रोग हर्ता

ज=आधि व्याधि 

 झा= सर्व व्याधि नाशक ,शक्ति संचयक 

य=  शांति प्रदायक

अ =शक्ति द्योतक 

ण= शांति सूचक, शक्ति स्फोटक 

म =सिद्धिदायक


सभी लोग आराधना अवश्य करें ।

ताँबे का वायरस पर वैज्ञानिक, आयुर्वेदिक एवं ज्योतिषीय प्रभाव

 ताँबे का आयुर्वेदिक एवं ज्योतिषी प्रभाव


आयुर्वेद में ऐसी मान्यता है कि तांबे के बर्तन का पानी तीन दोषों वात, कफ और पित्त को संतुलित रखकर आपके पेट और गले से जुड़ीं बीमारियों को काफी हद तक ठीक करने में मदद करता है। आपको रोजाना सुबह खाली पेट तांबे के बर्तन में रखा पानी पीना चाहिए। 


*पुराने समय में लोग ताँबे के सिक्कों को नदी में डालने की सलाह देते थे  जिससे नदी का प्रदूषण समाप्त हो जाता था ।*

*जब भारत में बहुत वर्षों पहले महामारी फ्लू के रुप में आई थी तब लोगों ने ताम्र के पात्रों का प्रयोग किया और महामारी को हराया भी क्योंकि तांबा ही ऐसी धातु है जो सबसे ज्यादा एंटी ऑक्सीडेंट है जिस पर किसी भी विषाणु का प्रभाव नहीं पड़ता ।अब यही बात ब्रिटेन के वैज्ञानिक की-बिल भी अपनी रिसर्च में  कह रहे हैं कि covid-19 ही नहीं अपितु उसके परिवार के अन्य विषाणु भी यदि ताँबे के संपर्क में आते हैं तो उनका प्रभाव ताँबे के संयोग से नष्ट हो जाता  है*।

*कोरोना वायरस के अलग-अलग सतहों पर जिंदा रहने के समय को लेकर दुनियाभर में लगातार शोध चल रहे हैं. शोधकर्ताओं ने पिछले महीने दावा किया था कि न्‍यू नोवल कोरोना वायरस (Coronavirus) कांच,* प्‍लास्टिक और स्‍टील पर कुछ दिन तक जिंदा रह सकते है. वहीं, तांबे (Copper) की सतह पर कुछ ही घंटों में खत्‍म हो जाता है. ये बात ब्रिटेन में माइक्रोबायोलॉजी (Microbiology) के रिसर्चर कीविल (Keevil) को कुछ ठीक नहीं लगी. वह ये सोच रहे थे कि कोरोना वायरस तांबे की सतह पर कई घंटे तक कैसे जिंदा रह सकता है*

कीविल दो दशक से ज्‍यादा समय से तांबे के एंटी-माइक्रोबियल (Antimicrobial) प्रभावों का अध्‍ययन कर रहे हैं. उन्‍होंने अपनी प्रयोगशाला में मिडिल ईस्‍ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (MERS) और स्‍वाइन फ्लू (H1N1) के वायरस पर तांबे के असर का परीक्षण किया है. हर बार तांबे के संपर्क में आने के कुछ ही मिनटों में वायरस खत्‍म हो गया. वह कहते हैं कि तांबे के संपर्क में आने के कुछ ही मिनट में वायरस की धज्जियां उड गईं.*



*तांबे की सतह बिना साफ किए भी खत्‍म करती है वायरस

कीविल ने 2015 में COVID-19 वायरस के परिवार के ही कोरोना वायरस 229E पर ध्‍यान दिया. ये वायरस संक्रमित व्‍यक्ति में जुकाम और निमोनिया की शिकायत होती है. कीविल ने जब इस कोरोना वायरस का तांबे की सतह से संपर्क कराया तो यह भी मिनटों में खत्‍म हो गया, जबकि ये स्‍टेनलेस स्‍टील और कांच पर 5 दिन तक जिंदा रहा.*

आइए, जानते हैं इसके फायदे- 

डाइजेशन सिस्टम को मजबूत करता है

तांबा पेट, लिवर और किडनी सभी को डिटॉक्स करता है। इसमें ऐसे गुण मौजूद होते हैं जो पेट को नुकसान पहुंचाने वाले बैक्टिरिया को मार देते हैं, जिस वजह से पेट में कभी भी अल्सर और इंफ्केशन नहीं होता। 


 


अर्थराइटिस और जोड़ों के दर्द से दे राहत

तांबे में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज़ दर्द से राहत दिलाती है, इसलिए  अर्थराइटिस और जोड़ों के दर्द से परेशान लोगों को जरूर पीना चाहिए। इसके साथ ही तांबा हड्डियों और रोग प्रतिरोध प्रतिरोधक क्षमता  को भी स्ट्रॉंग बनाता है। 


तांबे में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स चेहरे की फाइन लाइन्स और झाइयों को खत्म करता है। साथ ही फाइन लाइन्स को बढ़ाने वाले सबसे बड़े कारण यानी फ्री रेडिकल्स से बचाकर स्किन पर एक सुरक्षा लेयर बनाता है, जिस वजह से आप लंबे समय तक जवां रहते हैं। 


वजन कम करने में कारगर 

अगर आपको जल्दी वजन कम करना है, तो तांबे के बर्तन का पानी पिएं। इससे आपके डाइजेस्टिव सिस्टम को बेहतर कर बुरे फैट को शरीर से बाहर निकालता है। 


 


दिमाग को तेज करने में मददगार 

मस्तिष्क को उत्तेजित कर उसे सक्रिय बनाए रखने में तांबे का पानी बहुत सहायक होता है। इसके प्रयोग से स्मरणशक्ति मजबूत होती है और दिमाग तेज होता है।


 

ऐसे करें इसका इस्तेमाल 

आयुर्वेद ही नहीं, विज्ञान ने भी तांबे के बर्तन में रखा पानी पीना लाभकारी बताया है। इस पानी का पूरी तरह से लाभ तभी मिलता है, जब तांबे के बरतन में कम से कम 8 घंटे तक पानी रखा जाए। इसलिए लोग रात को तांबे के बर्तन में पानी भरकर सोते हैं, जिससे सुबह उठकर सबसे पहले इस पानी का सेवन कर सकें।



तांबे का ज्योतिषीय प्रभाव


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों की दृष्टि सहित ये ग्रह किसके साथ बैठे हैं, उसका आपके जीवन पर खास प्रभाव पड़ता है। इन्हीं के प्रभावों को बढ़ाने या कम करने की दृष्टि से तमाम तरह के रत्नों को धारण करने के लिए कहा जाता है। वहीं एक खास बात और है कि केवल रत्न ही नहीं बल्कि विभिन्न धातुएं भी सबको खास प्रभावित करती हैं।



 किसी भी धातु पर उस ग्रह का प्रभाव होता है जो उस धातु से जुड़ा माना गया है। जैसे सोना बृहस्पति तो चांदी आपके चंद्र को प्रभाव देती है, वहीं लोहा शनि को...


इसकी के चलते आज हम आपको तांबे का आपके जीवन में असर बताने जा रहे हैं। हिंदूधर्म की मान्यताओं के अनुसार सोना और तांबा शुद्ध धातु माने गए हैं। तांबा एक ऐसी धातु है जिसे ज्योतिष और विज्ञान दोनों में मान्यता है। ऐसे में माना जाता है कि तांबा धारण करने से या इस्तेमाल करने से कई बीमारियों से बचा रहता है।


जानकारों के अनुसार तांबा एक ऐसी धातु है जो पानी से लेकर हर चीज में मौजूद कीटाणुओं को खत्म कर देता है। इसीलिए ज्योतिष में नौ ग्रहों के बारे में बताया गया है, साथ ही हर ग्रह के लिए किसी एक धातु को विशेष मान्यता दी गई है।


वहीं तांबे को सूर्य व मंगल दोनों से जुड़ा माना जाता है। ऐसे में इसकी अंगूठी कई लिहाज से लाभदायक मानी जाती है। इसके साथ ही तांबा वास्तु के अनुसार भी फायदेमंद माना जाता है। ऐसे में स्वास्थ्य और त्वचा के लिए भी तांबा खास है। जानकारों के अनुसार नाखून और त्वचा से जुड़ी बीमारियों को ठीक और स्वस्थ्य करने में तांबा महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।


तांबे और सूर्य का ज्योतिष अनुसार एक जोड़ बताया गया है, तांबे की अंगूठी से समाज में प्रभाव बढ़ता है। जिसमें ज्योतिष मानते हैं कि इससे घर-परिवार में मान-सम्मान बढ़ता है। इसके अलावा तांबे का प्रभाव आपके मंगल पर भी पड़ता है।


हिंदूधर्म में तांबे को सभी धातुओं में सबसे अधिक शुद्ध माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार तांबे की बनी अंगूठी के अनेकों स्वास्थ्य लाभ होते हैं क्योंकि तांबे को सूर्य व मंगल दोनों की धातु माना गया है। तांबे की अंगूठी पहनने से व्यक्ति को धार्मिक लाभ के साथ अनेकों स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं.


ये है खास फायदे...

खून की सफाई : तांबे की अंगूठी पहनने से माना जाता है कि रक्त का प्रवाह सुचारु रूप से चलता है। इससे खून से प्रदूषित तत्व भी दूर होते हैं जिससे हृदय रोगों की संभावना कम हो जाती है।


मानसिक तनाव में कमी : 


वहीं ये भी माना जाता हे कि तांबे की अंगूठी या तांबे का छल्ला पहनने से मानसिक और शारीरिक तनाव में कमी आती है। इससे गुस्से को नियंत्रण में रखने में भी सहायता मिलती है।


त्वचा रोगों से मुक्ति : त्वचा आदि से संबंधित रोग होने पर तांबे की बनी अंगूठी या छल्ला पहनने से त्वचा के रोगों में बहुत तीव्रता से आराम मिलता है।


शरीर का तापमान : 


तांबे के आभूषणों को पहनने के संबंध में कहा जाता है कि इससे शरीर का तापमान नियंत्रण में बना रहता है और साथ ही इससे शरीर में ऊर्जा का उत्पादन जरूरत के अनुसार होता रहता है।


प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत : 


यह भी कहा जाता है कि तांबे के गहने जैसे अंगूठी, छल्ले या नथुनी आदि पहनने से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली भी मजबूत बनी रहती है। प्रतिरक्षा प्रणाली के मजबूत होने से एलर्जी आदि समस्याओं के सुरक्षा हो जाती है।


कॉपर की कमी दूर करें : जानकारों का यह भी कहना है कि शरीर में कॉपर की समस्या आदि होने पर तांबे की अंगूठी पहनने से शरीर में कॉपर की समस्या दूर हो जाती है। तांबे की अंगूठी या फिर तांबे या कड़ा पहनने से इसके गुण त्वचा के द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है औऱ शरीर में कॉपर की कमी आसानी से पूरी हो जाती है।


हड्डियों का दर्द कम: 


जानकारों की माने तोकॉपर का कड़ा या ब्रेसलेट पहनने से शरीर के जोड़ों और गठिया से जुड़े हर तरह के दर्द से आराम मिलता है। इसके अलावा तांबा आर्थराइटिस के मरीजों के लिए भी बहुत लाभकारी होता है।


आजकल घुटने का दर्द उम्र देखकर नहीं होता है कम उम्र से ही बच्चे इस दर्द से जूझ रहे है, तो ऐसे में कॉपर ब्रेसलेट पहनने से आपको राहत मिल सकती है।


स्वस्थ हृदय : 


यह भी कहा जाता है कि यदि आप अपने हृदय को हमेशा स्वस्थ रखना चाहते हैं और हृदय से जुड़ी बिमारियों से दूर रहना चाहते हैं, तो कॉपर ब्रेसलेट को हमेशा अपने हाथों में पहने रखें।


हीमोग्लोबिन वृद्धि में सहायक: जानकारों का तो यहां तक कहना है कि तांबे के अनेक फायदे है, कॉपर अन्य मेटल के टॉक्सिक इफ़ेक्ट को कम करता है और हीमोग्लोबिन बनाने वाले एंजाइम को बढ़ाने में हेल्प करता है।


कॉपर में एंटी-ऑक्सीडेंट अधिक मात्रा में होती है इसके अलावा इसके आभूषण धारण करने से आपकी बढती उम्र का असर भी कम होता है। कॉपर को पहनने से एक अलग लुक नजर आता है।


तांबे की अंगूठी के रहस्य!...

तांबे की अंगूठी रिंग फिंगर यानी की सूर्य की उंगली में पहनना चाहिए इसे शुभ माना जाता है। माना जाता है कि इस उंगली में तांबा धारण करने से सूर्य से जुड़े हुए सभी दोष खत्म हो जाते हैं। इसके साथ ही किसी व्यक्ति की पर यदि मंगल की क्रूर दशा हो, तो उसके लिए तांबा लाभकारी है इससे मंगल के प्रभाव समाप्त हो जाते हैं।


तांबा लगातार त्वचा के संपर्क में बना रहता है जिसके कारण त्वचा में चमक आती है। आयुर्वेद के अनुसार तांबे के बर्तनों का उपयोग हमारे इम्यून सिस्टम को ठीक करता है। इसी तरह तांबे की अंगूठी भी स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती है। तांबे की अंगूठी से ब्लड प्रेशर कंट्रोल होता है। शरीर में आई सूजन को तांबे अंगूठी कम कर सकती है।


सूर्य से जुड़ी समस्या : ज्योतिष के जानकारों के अनुसार यदि जातक की कुंडली में सूर्य दोष हो तो व्यक्ति कठिन मेहनत के बाद भी उसका पर्याप्त लाभ नहीं पाता है।


हर काम में उसे बेवजह की अड़चनों का सामना करना पड़ता है और बार-बार सामजिक सम्मान में कमी के हालात पैदा होते हैं। तांबे की अंगूठी पहने से व्यक्ति के सूर्य दोष दूर होते हैं।


इसलिए अगर कमजोर सूर्य के कारण जीवन में परेशानियां आप कम नहीं कर पा रहे तो ऐसे में यह अंगूठी पहनें। बहुत जल्द आपको इसका असर दिखेगा, आपको मान-सम्मान और प्रसिद्धि मिलेगी।


गुस्से का उपाय : 


ज्यादातर लोग जो अधिक गुस्से का शिकार होते हैं या जो शॉर्ट टेंपर्ड होते हैं उन्हें मोती पहनने की सलाह दी जाती है। लेकिन बहुत कम लोग ही जानते हैं कि तांबे की अंगूठी भी गुस्सा कंट्रोल करने में उतना ही कारगर है, क्योंकि इसका संबंध मंगल से भी है।


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह शांत प्रकृति का है और गर्मी दूर करता है। इसलिए व्यक्ति के मानसिक स्थिति को संतुलित कर गुस्सा शांत करता है।


वास्तु दोषों से मुक्ति : 


वास्तु के जानकारों की माने तो आप इसके प्रभाव से वास्तु दोषों को दूर कर मुक्त हो सकते हैं। शुद्धक होने के कारण आप अगर इसे किसी भी रूप में शरीर पर धारण करते हैं तो आप जहां भी जाते हैं ये उस स्थान को वास्तु दोषों के प्रभाव से मुक्त करता है।


तांबे के औषधीय गुण: माना जाता है कि तांबा शरीर को संक्रमण से सुरक्षित रखता है। यह रक्त शुद्ध करता है, इससे शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। इसके अलावा पेट की बीमारियों, डायरिया और पीलिया में भी यह विशेष लाभकारी माना गया है।


रक्तचाप और सूजन : 


कहा जाता है कि तांबे को आप किसी भी प्रकार से पहनें यह त्वचा के द्वारा शरीर में अवशोषित होता है और खून में इसकी कमी की आपूर्ति करता है।

शरीर में रक्त का बहाव नियंत्रित करने के कारण यह इसके उच्च और निम्न दाब को भी संतुलन में रखता है। इस प्रकार हाई ब्लड प्रेशर या लो ब्लड प्रेशर की परेशानियों को भी दूर करता है। यह शरीर में सूजन को भी दूर करता है।


ऐसे पड़ता है तांबे का शरीर और ग्रहों पर असर...

जानकारों के अनुसार तांबा हमारे शरीर को कई प्रकार से प्रभावित करता है। ये केवल वास्तु दोषों या आपकी कुंडली के प्रभावों में अंतर लाता है, बल्कि यह तो सीधे तौर से आपके शरीर पर भी अपना असर छोड़ता है।


- ताम्बे के प्रयोग से शरीर शुद्ध होता है।


- इसके साथ ही साथ शरीर से सारा विष बाहर निकल जाता है।


- यह मंगल को मजबूत करके रक्त को ठीक करता है।


- साथ ही यह सूर्य को मजबूत करके उत्साह में वृद्धि कर देता है।


- यह पाचन तंत्र को काफी अच्छा कर देता है।


- पेट की समस्याओं से निजात दिलाता है।


ऐसे करें तांबे का प्रयोग?


- तांबे का छल्ला अनामिका अंगुली में धारण करें।


- इससे सूर्य और चन्द्रमा दोनों मजबूत होते हैं, साथ ही मंगल भी प्रभावित होते हैं। साथ ही आत्मविश्वास, साहस और स्वास्थ्य अच्छा होने के अलावा रक्त संबंधी समस्याओं में भी लाभ देता है।


- तांबे को कमर में भी पहन सकते हैं, इससे नाभि और हार्मोन्स की समस्या में सुधार होता है।


- तांबे का सिक्का गले में धारण करने से दुर्घटनाओं से बचाव होता है।


- तांबे के पात्र का पानी पीने से शरीर विषमुक्त होता है, - पेट सम्बन्धी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।


तांबे के प्रयोग में ये रखें सावधानियां...


- तांबे जितना शुद्ध हो उतना ही अच्छा होगा।


- तांबे के साथ सोना मिश्रित करके पहनना और भी अच्छा होता है।


- अगर तांबे के बर्तन प्रयोग करते हैं, तो नियमित उनकी सफाई करते रहें।


- जिन लोगो को क्रोध की समस्या है, उन्हें सोच समझकर तांबे पहनना चाहिए।


- मेष, सिंह और धनु राशि के लिए तांबे हमेशा शुभ माना जाता है।


- वृष, कन्या और मकर राशि के लिए तांबे बहुत अनुकूल नहीं माना जाता।


- जबकि बाकी राशियों के लिए तांबे साधारण माना


कोरोना वायरस के अलग-अलग सतहों पर जिंदा रहने के समय को लेकर दुनियाभर में लगातार शोध चल रहे हैं. शोधकर्ताओं ने पिछले महीने दावा किया था कि न्‍यू नोवल कोरोना वायरस (Coronavirus) कांच, प्‍लास्टिक और स्‍टील पर कुछ दिन तक जिंदा रह सकते है. वहीं, तांबे (Copper) की सतह पर कुछ ही घंटों में खत्‍म हो जाता है. ये बात ब्रिटेन में माइक्रोबायोलॉजी (Microbiology) के रिसर्चर कीविल (Keevil) को कुछ ठीक नहीं लगी. वह ये सोच रहे थे कि कोरोना वायरस तांबे की सतह पर कई घंटे तक कैसे जिंदा रह सकता है.

कीविल दो दशक से ज्‍यादा समय से तांबे के एंटी-माइक्रोबियल (Antimicrobial) प्रभावों का अध्‍ययन कर रहे हैं. उन्‍होंने अपनी प्रयोगशाला में मिडिल ईस्‍ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (MERS) और स्‍वाइन फ्लू (H1N1) के वायरस पर तांबे के असर का परीक्षण किया है. हर बार तांबे के संपर्क में आने के कुछ ही मिनटों में वायरस खत्‍म हो गया. वह कहते हैं कि तांबे के संपर्क में आने के कुछ ही मिनट में वायरस की धज्जियां उड गईं.



तांबे की सतह बिना साफ किए भी खत्‍म करती है वायरस

कीविल ने 2015 में COVID-19 वायरस के परिवार के ही कोरोना वायरस 229E पर ध्‍यान दिया. ये वायरस संक्रमित व्‍यक्ति में जुकाम और निमोनिया की शिकायत होती है. कीविल ने जब इस कोरोना वायरस का तांबे की सतह से संपर्क कराया तो यह भी मिनटों में खत्‍म हो गया, जबकि ये स्‍टेनलेस स्‍टील और कांच पर 5 दिन तक जिंदा रहा.

उनके मुताबिक, ये दुर्भाग्‍य ही है कि हमने साफ दिखने के कारण साार्वजनिक और सबसे ज्‍यादा टच की जाने वाली जगह पर स्‍टेनलेस स्‍टील को ही तव्‍वजो दी. लेकिन, यहां सवाल ये है कि निश्चित तौर पर स्‍टील बाकी धातुओं के मुकाबले साफ दिखता है, लेकिन हम उसे कितनी बार स्‍वच्‍छ करते हैं. ऐसे में ये संक्रमण फैला सकता है. वहीं, तांबे की सतह को बार-बार साफ करने की जरूरत नहीं होती है. ये बिना साफ किए भी अपने संपर्क में आने वाले वायरस या बैक्टिरिया को खत्‍म कर देता है.

'तांबे से प्राचीन काल के इलाज पर आधुनिक मुहर है शोध'

मेडिकल यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ कैरोलिना में माइक्रोबायोलॉजी और इम्‍यूनोलॉली के प्रोफेसर माइकल जी. श्मिट कहते हैं कि कीविल का काम तांबे के जरिये प्राचीन काल के इलाज पर आधुनिक शोध की मुहर है. वह कहते हैं कि लोग जर्म्‍स या वायरस को जानने से बहुत ही तांबे की कई बीमारियों के इलाज करने की क्षमता को पहचान गए थे. वह कहते हैं कि तांबा मानव को प्रकृति का वरदान है.

वह बताते हैं कि कीविल की टीम ने न्‍यूयॉर्क शहर के ग्रैंड सेंट्रल टर्मिनल की पुरानी रेलिंग का परीक्षण किया था. इस रेलिंग का कॉपर आज भी उसी तरह काम कर रहा है, जैसे 100 साल पहले करता था. तांबे का एंटी-माइक्रोबियल प्रभाव कभी खत्‍म नहीं होता है. तांबे के बारे में प्राचीन काल के लोग जो कुछ जानते थे, आज के वैज्ञानिक और संस्‍थाएं सिर्फ उनकी पुष्टि कर रहे हैं. पर्यावरण संरक्षण एजेंसी ने 400 कॉपर सरफेस को एंटी-माइक्रोबियल सतह के तौर पर रजिस्‍टर किया है.

शोध: 58 फीसदी लोगों को नहीं हुआ अस्‍पताल में


प्रोफेसर माइकल का कहना है कि सोने (Gold) और चांदी (Silver) जैसी भारी धातुएं एंटी-बैक्टिरियल होती हैं, लेकिन तांबा वायरस को भी खत्‍म कर सकता है. कीविल बताते हैं कि वायरस या बैक्टिरिया तांबे की सतह पर आने के कुछ ही मिनट में खत्‍म हो जाते हैं. ये ठीक वैसा ही है जैसे कोई बाहरी चीज नजर आते ही मिसाइल उस पर हमला कर दे और कुछ ही देर में उसे नष्‍ट कर दे. डॉ. माइकल ने शोध किया कि तांबे को अस्‍पताल (Hospitals) में उस जगह लगाने से संक्रमण पर क्‍या असर होगा, जिसे लोग बार-बार छूते हों.


मेडिकल यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ कैरोलिना में माइक्रोबायोलॉजी और इम्‍यूनोलॉली के प्रोफेसर माइकल जी. श्मिट ने अस्‍पतालों में बार-बार छुई जाने वाली जगहों पर कॉपर का इस्‍तेमाल कर संक्रमण पर असर का शोध किया.

सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल (CDC) के मुताबिक हर संक्रमित के इलाज पर करीब 50 हजार डॉलर खर्च होता है. डॉ. माइकल के शोध को रक्षा विभाग (DOD) ने स्‍पॉन्‍सर किया. डॉ. माइकल ने 3 अस्‍पतालों की स्‍टेयर्स की रेलिंग के साथ ही ट्रे टेबल्‍स और कुर्सियों के हैंडल्‍स पर तांबे की परत का इस्‍तेमाल किया. करीब 43 महीने चले शोध में पता चला कि रुटीन इंफेक्‍शन प्रोटोकॉल का पालन करने वाले अस्‍पतालों के मुकाबले इन तीनों अस्‍पतालों में लोगों को संक्रमण 58 फीसदी कम हुआ.

सार्वजनिक जगहों पर तांबे के इस्‍तेमाल से इंफेक्‍शन का खतरा कम

जीका वायरस आने के बाद रक्षा विभाग का ध्‍यान उस पर चला गया तो डॉ. माइकल का शोध रुक गया. इसके बाद डॉ. माइकल ने एक मैन्‍युफैक्‍चरर के साथ काम करना शुरू किया, जो अस्‍पतालों के लिए बेड बनाता था. उन्‍होंने दो साल के अध्‍ययन के बाद अपनी रिपोर्ट जारी की. इसमें बताया गया कि जिन बेड में कॉपर की रेलिंग का इस्‍तेमाल किया गया था, उन पर मरीजों को संक्रमण के खतरे की दर 9 फीसदी रही, जबकि प्‍लास्टिक की रेलिंग वालों को इसका जोखिम 90 फीसदी रहा.

एक अन्‍य अध्‍ययन से पता चला कि अगर आप किसी अस्‍पताल में या सार्वजनिक जगह पर तांबे का ज्‍यादा से ज्‍यादा इस्‍तेमाल करते हैं तो वहां संक्रमण फैलने की आशंका बहुत कम हो जाती है क्‍योंकि ये हर समय अपने काम में लगी रहती है. ऐसा नहीं है कि तांबे की सतह का इस्‍तेमाल करने के बाद आपको सफाई की जरूरत नहीं है, लेकिन आने वहां कुछ ऐसा लगा दिया है जो हर वक्‍त वायरस और बैक्टिरिया को खत्‍म कर रहा है. डॉ. माइकल और कीविल कहते हैं कि इन तमाम शोध के बाद भी कोविड-19 से बचाव के लिए लोगों को बार-बार साबुन से अपने हाथ धोते रहना है.

Friday, April 16, 2021

शुक्रोदय का 12 राशियों पर प्रभाव

 शुक्र का उदय : 18 अप्रैल को शुक्र का मेष राशि में उदय, जानें सभी राशियों पर इसका प्रभाव


18 अप्रैल को रात्रि 11 बजकर 8 मिनट पर शुक्र मेष राशि में उदय होने जा रहे हैं। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार शुक्र के उदय होने के साथ ही शादि- विवाह, गृह प्रवेश आदि सभी मांगलिक कार्य आरंभ हो जाएंगे। शुक्र वृष और तुला राशि के स्वामी हैं। शुक्र कन्या राशि में नीच के और मीन राशि में उच्च के माने जाते हैं। शुक्र के उदय होने से सभी राशियों पर इसका प्रभाव पड़ेगा। आइए जानते हैं शुक्र का मेष राशि में उदय से कैसा रहेगा सभी राशियों का हाल...


मेष राशि



धन- लाभ होगा, जिससे आर्थिक पक्ष मजबूत होगा।

पारिवारिक जीवन में मधुरता आएगी।

शादी- विवाह होने के योग बन रहे हैं।

दांपत्य जीवन में प्रेम बढ़ेगा।

शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए ये समय काफी अच्छा रहने वाला है।

वृष राशि


वृष राशि के जातकों के लिए शुक्र का उदय होना शुभ कहा जा सकता है।

धर्म- कर्म के कार्यों में हिस्सा लेंगे।

नया मकान या वाहन का योग भी बन रहा है।

सामाजिक प्रतिष्ठा भी बढ़ेगी।

मिथुन राशि


शुक्र का उदय होने से आर्थिक पक्ष तो मजबूत होगा, लेकिन खर्चों में इजाफा भी हो सकता है, इसलिए सोच- समझकर धन खर्च करें।

शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए समय काफी बेहतरीन है।

प्रेम जीवन में मधुरता आएगी।

कर्क राशि



कार्यक्षेत्र में उच्चाधिकारियों से सहयोग मिलेगा।

व्यापार से जुड़े लोगों के लिए ये समय काफी अच्छा रहने वाला है।

नया व्यापार शुरू करने के लिए समय अच्छा है।

सिंह राशि


सिंह राशि के जातकों को शुक्र के उदय होने से मिला-जुला फल मिलने की उम्मीद है।

परेशानियों से छुटकारा मिलेगा, लेकिन हिम्मत से काम लेने की जरूरत होगी।

धर्म- कर्म के कार्यों में हिस्सा लेंगे।

दान- पुण्य करने का अवसर भी मिलेगा।

नौकरी और व्यापार के लिए समय काफी बेहतरीन है।

परिवार के सदस्यों का सहयोग मिलेगा।

कन्या राशि


स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है।

मान- सम्मान में वृद्दि होगी।

लेन- देन के मामलों में सावधानी बरतें। 

कोर्ट- कचहरी के मामलों से बचने का प्रयास करें।

तुला राशि



तुला राशि के जातकों के लिए शुक्र का उदय होना किसी वरदान से कम नहीं है। 

व्यापारियों के लिए ये समय काफी अच्छा रहने वाला है।

मान- सम्मान में वृद्धि के योग बन रहे हैं।

दांपत्य जीवन खुशियों से भरा रहेगा।

वृश्चिक राशि


वृश्चिक राशि के जातकों को सूर्य के उदय होने से सावधान रहने की आवश्यकता है।

किसी भी कार्य को करने से पहले अच्छी तरह सोच- विचार कर लें।

वाद- विवाद से बचने का प्रयास करें।

शादी विवाह के कार्यों में विलंब हो सकता है।

धनु राशि


शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए ये समय काफी अच्छा रहने वाला है।

स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों से छुटकारा मिल सकता है।

दापंत्य जीवन में प्रेम बढ़ेगा।

मान- सम्मान और पद- प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।

परिवार के सदस्यों का भरपूर सहयोग मिलेगा।

मकर राशि


कार्यों में सफलता प्राप्त करेंगे।

विवाह होने के योग भी बन रहे हैं।

पारिवारिक जीवन खुशियों से भरा रहेगा।

नया मकान या वाहन ले सकते हैं। 

कुंभ राशि


किए गए कार्यों की सराहना होगी।

धर्म- कर्म के कार्यों में हिस्सा लेने का अवसर मिलेगा।

सामाजिक मान- सम्मान भी बढ़ सकता है।

अपने स्वभाव के चलते कठिन समय को आसानी से नियंत्रित कर पाएंगे।

मीन राशि


मीन राशि के जातकों को शुक्र के उदय होने से मिले- जुल परिणाम मिलेंगे।

स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है।

पारिवारिक जीवन में मधुरता आएगी।

धन- लाभ होने के योग भी बन रहे हैं।

Tuesday, April 6, 2021

किडनी में आवश्यक विचार

 

क्रिएटिनिन(serum creatinine )test : अर्थ, नार्मल स्तर इत्यादि

क्रिएटिनिन क्या है, दरअसल यह उन अपशिष्ट उत्पादों में से एक है जिन्हें शरीर उत्पादित करता है, और जो किडनी द्वारा पेशाब के जरिए शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। रक्त में क्रिएटिनिन का स्तर सीरम क्रिएटिनिन परीक्षण (serum creatinine test) नामक जाँच के द्वारा मापा जाता है।

 क्रिएटिनिन एक रासायन है और इसका रासायनिक सूत्र C4H7N3O है, और इसका आणविक वजन 113.12 Daltons है। क्रिएटिनिन सामान्य मांसपेशियों के ऊतकों के टूटने से बनता होता है। एक व्यक्ति के पास जितनी अधिक मांसपेशी होती है, उसका शरीर उतना ही ज्यादा क्रिएटिनिन पैदा करता है। रक्त में क्रिएटिनिन का स्तर एक व्यक्ति की मांसपेशियों की मात्रा और किडनी की कार्यक्षमता दोनों पर ही निर्भर करता है। आम तौर पर क्रिएटिनिन टेस्ट के साथ BUN टेस्ट और यूरिन प्रोटीन टेस्ट भी किया जाता है।

किडनी किस प्रकार बनाती हैं क्रिएटिनिन का संतुलन

किडनी हमारे शरीर में क्रिएटिनिन जैसे अनेक पदार्थों जैसे सोडियम, पोटैशियम और फॉस्फेट का संतुलन बनाकर हमें स्वस्थ रखने में सहायता करती है। रक्त में मांसपेशियों के ऊतकों के टूटने से बनने वाले क्रिएटिनिन (बेकार पदार्थ) को पेशाब के जरिए शरीर से बाहर निकालकर शरीर में इसके स्तर को संतुलित करके रखती है।

किडनी द्वारा क्रिएटिनिन को साफ करने वाले रक्त की मात्रा को क्रिएटिनिन क्लीयरेंस कहा जाता है। किडनी के क्रिएटिनिन को साफ करने की यह प्रक्रिया ग्लोमेरुली नामक छन्नी करती है, इस क्रिया को (glomerular filtration rate, or GFR) के मापक से मापा जाता है। अर्थात एक मिनट में किडनी कितने रक्त को साफ कर रही है। एक स्वस्थ व्यक्ति में क्रिएटिनिन क्लीयरेंस 95 मिलीलीटर / मिनट (महिलाओं में) और पुरुषों के लिए 120 मिलीलीटर/ मिनट है।

इसका मतलब है कि एक स्वस्थ किडनी एक मिनट में 95 से 120 मिली. रक्त को क्रिएटिनिन रहित करती हैं। क्रिएटिनिन क्लीयरेंस की प्रक्रिया को मापने में मरीज का वजन, लंबाई, लिंग, और उम्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

इस जाँच से जानें रक्त में क्रिएटिनीन का स्तर

सीरम क्रिएटिनिन टेस्ट (Serum creatinine test)-

KFT या RFT टेस्ट के अंतर्गत आने वाली यह जाँच मुख्य रूप से रक्त में क्रिएटिनिन के निर्माण की पहचान करती है। स्वस्थ कार्यक्षमता वाली किडनी क्रिएटिनिन को रक्त से पूरी तरह छानकर पेशाब के माध्यम से शरीर के बाहर निकाल देती है। रक्त में क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ जाना किडनी की बीमारी का संकेत देता है।

इस जाँच को करने के लिए आपके रक्त का सेंपल लिया जाता है। प्रयोगशाला में उस रक्त की जाँच के बाद 24 घंटे के अंदर आपको रिपोर्ट मिल जाती है। रक्त में क्रिएटिनिन का सामान्य स्तर महिलाओं में 0.5 से 1.1 (mg/dL) और पुरुषों में 0.6 से 1.2 mg/dL होता है। क्रिएटिनिन का स्तर इस सामान्य स्तर से उच्च होने पर किडनी के रोग का संकेत देता है।

अध्ययनों में कहा गया है कि इस टेस्ट को कराने से पहले पका मांस न खाया जाए, क्योंकि पका हुआ मास क्रिएटिनिन के स्तर को बढ़ा देता है। भारत में इस टेस्ट की कीमत 100 रुपए से 200 रुपए तक (प्रयोगशालाओं के हिसाब से) हो सकती है।

क्रिएटिनीन और eGFR में क्या है संबंध

क्रिएटिनिन को रक्त से साफ करना किडनी का काम है, और eGFR किडनी के उस काम की गति का मापक है। बहुत से लोग क्रिएटिनिन और eGFR को दो अलग-अलग जाँच समझते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। वास्तव में eGFR कोई अलग रक्त परीक्षण नहीं है, बल्कि इसकी गणना एक सूत्र का उपयोग करके की जाती है (इसीलिए इसे eGFR यानि estimated glomerular filtration rate या इ-जीएफआर कहा जाता है)।

यह मरीज के क्रिएटिनिन स्तर, आयु और लिंग पर निर्भर करता है, और इन्हीं के आधार पर अंतिम परिणाम एमएल / मिनट में निकलता है। एक स्वस्थ मनुष्य का eGFR 60 मिलि/मिनट से ज्यादा होता है, यदि आपकी रिपोर्ट में eGFR 60 मिलि/मिनट से कम है तो किडनी विफलता के किसी चरण पर हैं, तत्काल किडनी विशेषज्ञ से संपर्क करें। क्या होते हैं किडनी विफतला के वह चरण जिन्हें eGFR जैसे मापक से बांटा गया है-

CKD के चरणeGFR (मिलि. /मिनट)
चरण-1 (साधारण)90-120 मिलि./मिनट
चरण-2 (हल्का)60-90 मिलि./मिनट
चरण-3 (मध्यम)30-60 मिलि./मिनट
चरण-4 (गंभीर)15-30 मिलि./मिनट
चरण-5 (किडनी विफलता)0-15 मिलि./मिनट

क्रिएटिनिन बढ़ा है तो बीमारी के बारे में ज़्यादा जानने के लिए किडनी का अल्ट्रासाउंड (USG-KUB) और किडनी की बायोप्सी(“renal biopsy”) की ज़रुरत पड सकती है।

क्या हैं क्रिएटिनीन के निम्न स्तर के कारण

 शरीर मेंक्रिएटिनिन का स्तर आपके शरीर के आकार, वजन और मासपेशियों के अनुसार औरों से भिन्न हो सकता है। उदाहरण के लिए, पुरुषों के लिए क्रिएटिनिन की सामान्य सीमा 0.6 से 1.2 मिलीग्राम / डीएल के बीच है, और महिलाओं के लिए सामान्य सीमा 0.5 से 1.1 मिलीग्राम / डीएल के बीच है। यदि शरीर में क्रिएटिनिन का स्तर कम हो जाए तो स्वस्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं।

क्या है शरीर में क्रिएटिनिन का स्तर कम होने के कारण-

  • मांसपेशियों की बीमारी, जैसे कि पेशी अपविकास (muscular dystrophy)।
  • लीवर की कोई बीमारी, क्योंकि लीवर की कार्यक्षमता क्रिएटिनिन के उत्पादन पर प्रभाव डालती है, जिससे क्रिएटिनिन के स्तर में कमी भी आ सकती है। लक्षणों में पीलिया, पेट में दर्द और सूजन, और मल का रंग बदलना शामिल रहै।
  • पानी की अधिकता, गर्भावस्था, अधिक पानी का सेवन और कुछ दवाएं के सेवन से भी क्रिएटिनिन के स्तर में कमी आ सकती है।

Thursday, April 1, 2021

मुनि प्रणम्यसागर जी की रचनाएं

 

मुनि श्री प्रणम्य सागर जी द्वारा साहित्य सृजन

अभीक्ष्ण ज्ञान उपयोगी, प्राकृत भाषा मर्मज्ञ परम पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज चार भाषाओं – हिन्दी, संस्कृत, प्राकृत और अंग्रेजी का ज्ञान रखते हैं।

इन चार भाषाओं में पूज्य मुनि श्री ने 80 से भी अधिक ग्रंथों, टीका ग्रंथों, काव्यों, पद्यानुवादों, स्तोत्र आदि की रचना की। 

पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज की लेखन क्षमता अद्भुत है। उनकी कलम से निरंतर नए-नए ग्रंथों और कृतियों की रचना होती रहती है। ऐसा लगता है ज्ञान का अथाह सागर पूज्य मुनि श्री अपने में समाए हुए हैं। उनके ज्ञान की पराकाष्ठा को देखकर ही — अभीक्ष्ण ज्ञान उपयोगी, वर्तमान में श्रुत केवली, जैन दर्शन के परम ज्ञाता, प्राकृत भाषा मर्मज्ञ, महा योगीराज, ज्ञान के सागर, विद्या के सागर आदि उपाधियों से उन्हें विभूषित किया जाता है।

पूज्य मुनि श्री के साहित्य को अनेक भागों में बांटा गया है –

(1) संस्कृत भाषा में टीका ग्रंथ,

(2) हिंदी में अनुवादित ग्रंथ,

(3) पद्यानुवाद,

(4) प्रवचन ग्रंथ,

(5) संस्कृत भाषा में मौलिक काव्य ग्रंथ,

(6) प्राकृत भाषा में मौलिक काव्य ग्रंथ,

(7) अन्य मौलिक कृतियां,

(8) संकलन,

(9) अंग्रेजी भाषा में पुस्तकें आदि

पूज्य मुनि श्री के द्वारा रचित साहित्य में अनेक तरह की varieties देखने को मिलती हैं। इसमें संस्कृत भाषा में श्री वर्धमान स्तोत्र, स्तुति पथ, श्रायस पथ, अनासक्त महायोगी जैसी प्रसिद्ध रचनाएं हैं। दूसरी तरफ प्राकृत भाषा में सोलह कारण भावनाओं पर आधारित तित्थयर भावणा, धम्मकहा, गोम्मटेस पंडिमा भत्ति जैसी दुर्लभ और अनोखी कृतियां हैं।

संस्कृत भाषा और उसके व्याकरण का ज्ञान पूज्य मुनि श्री ने स्वयं अभ्यास द्वारा प्राप्त किया और इन भाषाओँ में अभूतपूर्व कुशलता प्राप्त की। प्राचीन और महत्वपूर्ण अनमोल ग्रंथों पर पूज्य मुनि श्री ने इसी अद्भुत लेखन क्षमता का उपयोग करते हुए, संस्कृत टीकाएँ लिखकर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। इन ग्रंथों पर एक लंबे समय के बाद इस तरह की संस्कृत टीकाएँ लिखी गई है। 

युवाओं के लिए विशेष रूप से Fact of Fate, खोजो मत पाओ, लक्ष्य, जिंदगी क्या है, बेटा जैसी पुस्तकें पूज्य मुनि श्री ने लिखी हैं। योग के ऊपर अर्हम ध्यान योग पुस्तक पाठकों को आकर्षित करती है।

इसके अतिरिक्त अन्तर्गूंज (भजन एवं हाइकू) और लहर पर लहर (कविता संग्रह) अपने आप में बहुत interesting और अनुपम रचनाएं हैं।  सभी ग्रंथों और रचनाओं की भाषा बहुत सरल है, शैली बहुत रोचक और स्पष्ट है।

इस साहित्य में अनेकों उदाहरणों के माध्यम से विषय को समझाया गया है, साथ ही जीवन में आने वाली अनेक समस्याओं और मन में उठने वाली जिज्ञासा और प्रश्नों का solution और जवाब भी हमें इन ग्रंथों और रचनाओं में मिलता है। कुछ रचनाएं छोटी होने के बावजूद भी जैसे “गागर में सागर” को समाए हैं। अनेक प्राचीन ग्रंथों के प्रवचन ग्रंथों में, कठिन समझे जाने वाले विषय को इतना easy बना दिया गया है कि पाठक आश्चर्य से भर जाते हैं।

नए-नए ग्रंथ और टिकाओं की रचना कर जैन आगम को विकसित करने और उसे विविधताओं से भरने में पूज्य मुनि श्री का अमूल्य योगदान है और यह योगदान निरंतर जारी है।

नीचे दी गई list में अनेक ग्रन्थों और कृतियों का pdf download  किया जा सकता है और ग्रन्थ के नाम पर click  करके open होने वाले नये पेज पर ही उस कृति को पढ़ा जा सकता है और book cover का image भी देखा जा सकता है—-

मुनि प्राणम्यसागर परिचय

 


previous arrow
next arrow

पूज्यास्पद मुनिश्री १०८ प्रणम्य सागर जी महाराज
Welcome to website of Pranamya Sagar Ji Maharaj

परिचय

मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज
पूर्व नाम : ब्र. सर्वेश जी
पिता-माता : श्री वीरेन्द्र कुमार जी जैन एवं श्रीमती सरिता देवी जैन
जन्म : 13.09.1975, भाद्रपद शुक्ल अष्टमी
जन्म स्थान : भोगांव, जिला मैनपुरी (उत्तर प्रदेश)
वर्तमान में : सिरसागंज, फिरोजाबाद (उत्तर प्रदेश)
शिक्षा : बीएससी (अंग्रेजी माध्यम)
भाई : सचिन जैन
बहिन : सपना जैन
गृह त्याग : 09.08.1994
क्षुल्लक दीक्षा : 09.08.1997, नेमावर
एलक दीक्षा : 05.01.1998, नेमावर
मुनि दीक्षा : 11.02.1998, माघ सुदी 15, बुधवार, मुक्तागिरीजी
दीक्षा गुरु : आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

पूज्यास्पद मुनिश्री १०८ प्रणम्य सागर जी महाराज श्रमण साधुओं की वंदनीय परम्परा में महनीय स्थान के अधिकारी पुण्य पुरुष हैं| आपके महान परिचय को लेखनी से लिख पाना अत्यंत दुर्द्धर है| पहाड़ को काटकर सुरंग निकाली जा सकती है, धरती को चीर कर पानी निकाला जा सकता है, आसमां को फाड़कर धरती पर भागीरथी को धरती पर लाया जा सकता है लेकिन आपके जैसे गुरु की महिमा का वर्णन संभव नही|

आप एक नहीं अनेक गुणों के धारी हैं, आप एक नहीं अनेक सलाह व सुराह के दर्शायक हैं, चतुर्थ काल सम आपकी चर्या है, आप वात्सल्य के सागर हैं, आपके मुख पर मंद मधुर मुस्कान प्रतिपल रहती है, आपकी मृदु वाणी जनकल्याणी है| यह आपकी वाणी का ही जादू है कि प्रवचनसार जैसे महान ग्रन्थ पर आपके प्रवचनों का ध्याय पारस, जिनवाणी एवं यूट्यूब जैसे चैनलों के माध्यम से विश्व भर में सुने गये|

आपके तपोनिष्ठ जीवन का एकमात्र ध्येय सम्यक ज्ञान के साथ एकान्त श्रुतोपासना है| श्रुतोपासना की निरंतरता के क्रम में आपके द्वारा महान ग्रंथो की रचना हुई है| यह आपकी लेखनी का ही जादू है कि प्राकृत भाषा जो कि हमारे आगम की भाषा है जिसे आज लोग भूल गए थे इसे भी “पाइय-सिक्खा” पुस्तक श्रृंखला की रचना से इतना सरल बना दिया कि जन जन में प्राकृत सीखने की लहर उठ गयी है आपके द्वारा रचित “पाइय-सिक्खा” पुस्तक इतनी सरल हैं जिसे आज 5 वर्ष से लेकर 70 वर्ष तक के वृद्ध, युवा महिलाएं एवं बच्चे पढ़ रहें हैं|

प्राकृत पाठशालाएं

आपके आशीर्वाद से विभिन्न स्थानों पर अपनी संस्कृति एवं भाषा के संरक्षण हेतु प्राकृत की पाठशालाएं सुचारू रूप से चल रहीं हैं| आज प्राकृत ऑनलाइन पाठशालाओं के माध्यम से भी लोग घर बैठे ही लोग “पाइय-सिक्खा” की पुस्तकों से प्राकृत का ज्ञान अर्जित कर रहें हैं| आपने जहाँ एक और प्राकृत से परिचय कराया है वहीँ दूसरी ओर अर्हं ध्यान के माध्यम से हमारी प्राचीन सभ्यता को जीवित किया है| अर्हं ध्यान आज सभी के लिए वरदान सिद्ध हुआ है| जनसाधारण को अर्हं ध्यान के मध्यं से असाध्य रोगों से मुक्ति मिल रही है| आजकी युवा पीढ़ी को सुदृढ़ बनाने के लिए Life Management, Fact of Fate, लक्ष्य, जिन्दगी क्या है जैसी पुस्तकों को लिखकर बच्चो एवं युवाओं को एक सकारात्मक दिशा दी है|

अकलंक शरणालय छात्रावास

बच्चो को संस्कारों से सज्जित, नवीन एवं सकारात्मक दिशा प्राप्त हो इस हेतु आपकी पावन प्रेरणा एवं मंगल आशीर्वाद से रेवाड़ी में “अकलंक शरणालय छात्रावास” की स्थापना हुई है| यहाँ बच्चे उच्च सिक्षा के साथ धर्म की शिक्षा भी ग्रहण कर रहें हैं| 

कृतियाँ

आपने चाहे प्राकृत हो संस्कृत हो अथवा अंग्रेजी सभी भाषाओं में अनुपम एवं अद्वितीय कृतियों की रचना की है| प्रतिक्रमण ग्रंथत्रयी, दार्शनिक प्रतिक्रमण, तिथ्यर भावणा, बरसाणु पेक्खा (कादम्बनी टीका), स्तुति पथ, प्रश्नोत्तर रत्नमालिका, अर्चना पथ, पाइए सिक्खा, अनासक्त महायोगी, श्री वर्धमान स्त्रोत, अर्न्तगूंज बेटा, नयी छहढाला, जैन सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य, मनोविज्ञान, लोक विज्ञान, Fact of Fate, Talk for Learners आदि 80 से भी अधिक कृतियों की रचना की है|

भक्तों के निवेदन पर आपके द्वारा रचित सम्पूर्ण साहित्य को इस वेबसाईट पर संकलित करने एवं संयोजित करने का प्रयास किया जा रहा है| आगामी समय में मुनि श्री द्वारा रचित सम्पूर्ण साहित्य, भजन एवम् विडिओ आपको इस वेबसाईट पर उपलब्ध रहेंगे|                 

गाय के गोबर का महत्व

 आयुर्वेद ग्रंथों  में हमारे ऋषि मुनियों ने पहले ही बता दिया गया  था कि   *धोवन पानी पीने का वैज्ञानिक तथ्य और आज की आवश्यकता* वायुमण्डल में...