Sunday, April 26, 2020

भगवान आदिनाथ जी का संक्षिप्त जीवन परिचय

आदिनाथ भगवान का परिचय

आदिनाथ भगवान के‌ प्रथम आहार के निमित्त दान तीर्थ का प्रवर्तन अक्षय तृतीया महापर्व महोत्सव दिनांक 26-4-2020 दिन ‌रविवार
 श्री आदिनाथ भगवान का संक्षिप्त जीवन परिचय


*प्रथम तीर्थंकर* 

नाम - *आदिनाथ जी*

चिन्ह - *वृषभ*

द्वीप का नाम - *जम्बूदीप*

क्षैत्र - *पूर्व विदेह*

देश प्रांत - *पुष्कलावती*

नगर - *पुंडरीकिनी*

वहाँ का नाम - *वज्रनाभि* *(ऋषभदेव का जीव तो चक्रवर्ती 11 अंग 14 पूर्व का वेत्ता था।)*

वहाँ के गुरु - *वज्रसेन*

कहां से आये - *सर्वार्थ सिद्धि विमान*

जन्म भूमि - *अयोध्या (साकेत पुरृ)*

वंश - *इक्ष्वाकु वंश*

पिता -  *नाभिराज जी*

माता - *मरुदेवी* 

गर्भ तिथि - *आषाढ़ कृष्णा   दूज*

गर्भ नक्षत्र - *उत्तराषाढ़ा*

जन्म तिथि - *चैत्र कृष्णा नवमी*

जन्म नक्षत्र - *अभिजित*

जन्म राशि - *धनु*

शरीर वर्ण - *तपा हुआ स्वर्ण*

शरीर की ऊंचाई - *500 धनुष*

कुमार काल - *20 लाख पूर्व वर्ष*

राजभोग काल - *63 लाख पूर्व*

केवली काल  - *एक हजार वर्ष कम एक लाख पूर्व वर्ष*

पूर्ण आयु - *84 लाख पूर्व वर्ष*

दीक्षा तिथि - *चैत्र कृष्णा 9*

दीक्षा समय , नक्षत्र - *अपरान्ह , उत्तराषाढ़ा*

दीक्षा पालकी - *सुदर्शन*

दीक्षा नगर ,वन - *प्रयाग , सिद्धार्थ वन* 

दीक्षा वृक्ष ,वृक्ष ऊंचाई - *वट वृक्ष , 6000 धनुष*

वैराग्य निमित्त - *नीलांजना की मृत्यु*

दीक्षा उपवास नियम - *6 माह का उपवास*

कितने दिनों के बाद आहार -   *13 माह 9 दिन बाद*

प्रथम आहार - *इक्षुरस*


आहार दाता - *श्रेयांस राजा*

पारणा नगर - *हस्तिनापुर*

दीक्षित राजा - *चार हजार*

केवलज्ञान तिथि - *फाल्गुन कृष्ण 11*

केवलज्ञान समय ,नक्षत्र - *पूर्वान्ह उत्तराषाढ़ा*

केवलज्ञान वन ,वृक्ष - *शकटावन , वटवृक्ष*

समोशरण विस्तार - *12 योजन*

कुल गणधर - *84*

मुख्य गणधर - *वृषभसेन*

समवशरण में सामान्य केवली- *20000 हजार*

पूर्वधारी - *4750*

शिक्षक - *4150*

विपुलमति मन: पर्यय ज्ञानी - *12705*

विक्रिया ऋद्धिधारी - *20600*

अवधिज्ञानी - *9000*

वादियों की संख्या - *12750*

मुख्य गणिनी - *ब्राम्ही*

मुख्य श्रोता - *भरत*

श्रावक - *तीन लाख*

श्राविका - *5 लाख*

यक्ष - *गोमुख (वृषभ)*

यक्षिणी - *चक्रश्वरी*

योग निरोध - *14 दिन पहले*

मोक्ष तिथि - *माघ कृष्ण चौदस*

मोक्ष समय , नक्षत्र - *पूर्वान्ह उत्तराषाढ़ा*

मोक्षस्थली - *कैलाश पर्वत*

मोक्ष आसन - *पद्मासन*

ऋषभनाथ तीर्थ प्रवर्तन काल-  *50 लाख करोड़ सागरोपम + 1 पूर्वांग*
 🙏🏻अक्षय तृतीया पर्व  की  हार्दिक शुभकामनाएं 🙏
🙏🏻दान दिवस जयवंत हो🙏🏻

Thursday, April 23, 2020

महामंत्र णमोकार और नवग्रह का संबंध

 
   
      महामन्त्र णमोकार और नवग्रह का सम्बन्ध
                                   आचार्य श्री सुविधिसागर
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🔯     णमोकार मंत्र और नव ग्रह

जैन आर्ष परंपरानुसार भवनवासी , व्यन्तर , ज्योतिषी और कल्पवासी ये देवोंके चार भेद है .उनमें ज्योतिषी देवों के सुर्य , चंद्र , ग्रह ,नक्षत्र और तारे ये 5 भेद माने गये है. चन्द्रमा ज्योतिषी देवोंके इंद्र है और सुर्य प्रतीन्द्र है.

त्रिलोकसार आदि करणानुयोग ग्रंथों में सुर्य और चंद्र को ग्रह नही माना है बल्की उनके संबंधित 88 ग्रह है.

ज्योतिर्विदो ने 9 ग्रह स्वीकार किये है . उनके अनुसार जीव  शुभ अशुभ कर्मोंका फल प्राप्त करता है , उसे जानने के लिए ग्रह साधन है.

णमोकारमन्त्र के द्वारा कर्मों के शुभफलदायक रस की अभिव्रुध्दि होती है और अशुभफलदायक रस की हानी होती है.

आइये देखते है 9 ग्रहोंके अशुभ फल को विनिष्ट  कर जीवन की सर्वतोमुखी प्रगति के लिए णमोकारमन्त्र किस प्रकार सहयोगी बन सकता है.

1.  सूर्य ग्रह -णमो सिद्धाणं
 इसका प्रकोप कम करने के लिए, लक्ष्मी व्रुध्दी करने के लिए , प्रताप बढाने के  लिए, तथा आसक्ती कम करने के लिए
णमो सिद्धाणं इस  पद का जप तथा ध्यान करना चाहीये.

2.चंद्र ग्रह -णमो अरिहंताणं -
  चन्द्रमा की पाप प्रक्रुति का शमन करने के लिए , मानसिक शुध्दी के लिए , पुज्यजनों की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए तथा धनलाभ के लिए  *णमो अरिहंताणं* इस पद का जाप करना चाहिये.

3.मंगल ग्रह -णमो सिद्धाणं-
 पराक्रम के वृद्धि के लिए, बहन भाइयों के साथ स्नेहभाव बढाने के लिए, शत्रुता नष्ट करने के लिए,  किसी कार्य में विजय प्राप्त करने के लिए तथा रोगों का क्षय करने के लिए मंगल का प्रकोप उपशमित होना आवश्यक है . इसलिए  *णमो सिध्दाणं*  इस पद का जप तथा ध्यान करना चाहीये.

*4.बुधग्रह -णमोआइरियाणं-
विद्या की वृद्धि के लिए, वचनो के शुध्दी के लिए, तथा बुध ग्रह के अनिष्ठ फल के को दूर करने के लिए, *णमो आइरियाणं* इस पद का जप और ध्यान करना चाहीये.

5.गुरु ग्रह णमो आइरियाणं -
- गुरु के शुभ फल के रसभाग की अभिवृृद्धि के लिए, शरीर को पुष्ट करने के लिए, बुध्दी के विकास के लिए तथा आकाश तत्व के संतुलन के लिए *णमो आइरियाणं* इस पद का जप तथा ध्यान करना चाहीये.

5.शुक्र ग्रह- णमो आइरियाणं-
स्वार्थ को परमार्थ में परिवर्तीत करने के लिए , व्यापार व्रुध्दी के लिये ,वाहनादि विभुतियों के सम्प्राप्ति के लिए, तथा कार्मोजा को आत्मोर्जा में रुपांतरीत करने के लिए *णमो आइरियाणं* इस पद का जप तथा ध्यान करना चाहीये .

7. शनि ग्रह -णमो लोएसव्वसाहूणं 
शनि का दुष्फल दूर करने के लिए, आयु की व्रुध्दी के लिए, विपत्तियोंका निवारण करने के लिए, सम्पत्ति को बढाने के लिए, वैराग्य के व्रुध्दी के लिए तथा मन को प्रसन्न करने के लिए *णमो लोए सव्वसाहुणं* इस पद का जप तथा ध्यान करना चाहीये.

 8-राहु ग्रह-णमो लोए सव्वसाहूणं
राहु कि क्रूरता को कम करने के लिए, वैराग्य की स्थिरता के लिए, तथा सार्वभौमिक उन्नती के लिए *णमो लोए सव्व साहुणं*, इस पद का जप तथा ध्यान करना चाहीये.

9. केतु ग्रह -णमो उवझायाणं-
केतु की क्रूरता का उपशम करने के लिए, जैविक उन्नती के लिए तथा अध्यात्मिक विकास के लिए *णमो उवज्झायणं* इस पद का जप तथा ध्यान करना चाहीये.

Wednesday, April 22, 2020

बुधादित्य योग का बारह भावों में फल

*भावानुसार बुध आदित्य योग*
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वैदिक ज्योतिष में प्रचलित परिभाषा के अनुसार किसी कुंडली के किसी घर में जब सूर्य तथा बुध संयुक्त रूप से स्थित हो जाते हैं यूति होती हे  तो ऐसी कुंडली में बुध आदित्य योग का निर्माण हो जाता है।
इस योग का शुभ प्रभाव जातक को बुद्धि, विशलेषणात्मक क्षमता, वाक कुशलता, संचार कुशलता, नेतृत्व करने की क्षमता, मान, सम्मान, प्रतिष्ठा तथा ऐसी ही अन्य कई विशेषताएं प्रदान कर सकता है। बुध हमारे सौर मंडल का सबसे भीतरी ग्रह है जिसका अर्थ यह है कि बुध सूर्य के सबसे समीप रहता है तथा बहुत सी कुंडलियों में बुध तथा सूर्य एक साथ ही देखे जाते हैं जिसका अर्थ यह हुआ कि इन सभी कुंडलियों में बुध आदित्य योग बन जाता है जिससे अधिकतर जातक इस योग से मिलने वाले शुभ फलों को प्राप्त करते हैं।
जो वास्तविक जीवन में देखने को नहीं मिलता क्योंकि इस योग के द्वारा प्रदान की जाने वालीं विशेषताएं केवल कुछ विशेष जातकों में ही देखने को मिलतीं हैं। इसलिए यह कहा जा सकता है कि बुध आदित्य योग की परिभाषा अपने आप में पूर्ण नहीं है तथा किसी कुंडली में इस योग का निर्माण निश्चित करने के लिए कुछ अन्य तथ्यों के विषय में विचार कर लेना भी आवश्यक है।

किसी कुंडली में किसी भी शुभ योग के बनने के लिए यह आवश्यक है कि उस योग का निर्माण करने वाले सभी ग्रह कुंडली में शुभ रूप से काम कर रहे हों क्योंकि अशुभ ग्रह शुभ योगों का निर्माण नहीं करते अपितु अशुभ योगों अथवा दोषों का निर्माण करते हैं। इसी आधार पर यह कहा जा सकता है कि किसी कुंडली में बुध आदित्य योग के बनने के लिए कुंडली में सूर्य तथा बुध, दोनों का शुभ होना आवश्यक है तथा इन दोनों में से किसी एक ग्रह के अथवा दोनों के ही कुंडली में अशुभ होने से उस कुंडली में बुधादित्य योग का निर्माण नहीं होता बल्कि किसी प्रकार के दोष का निर्माण हो सकता है। उदाहरण के लिए किसी कुंडली में सूर्य के अशुभ होने पर, बुध के शुभ होने पर तथा सूर्य बुध के संयुक्त होने पर कुंडली में बुधादित्य योग का निर्माण नहीं होगा बल्कि इस स्थिति में अशुभ सूर्य के कारण शुभ बुध को हानि पहुंचेगी जिसके कारण बुध की विशेषताओं से जुड़े हुए क्षेत्रों में जातक को हानि उठानी पड़ सकती है तथा कुंडली में बुध के अशुभ और सूर्य के शुभ होकर संयुक्त होने की स्थिति में भी इस दोष का निर्माण नहीं होगा बल्कि जातक को सूर्य की विशेषताओं से संबंधित क्षेत्रों में हानि उठानी पड़ेगी। किसी कुंडली में सबसे बुरी स्थिति तब पैदा हो सकती है जब कुंडली में सूर्य तथा बुध दोनों ही अशुभ होकर संयुक्त हों क्योंकि इस स्थिति में जातक को दोनों ही ग्रहों की विशेषताओं से संबंधित क्षेत्रों में हानि उठानी पड़ सकती है। इसलिए किसी कुंडली में बुधादित्य योग के निर्माण के लिए सूर्य तथा बुध दोनों का ही शुभ होना आवश्यक है।

यहां पर यह बात ध्यान देने योग्य है कि कुंडली में सूर्य तथा बुध दोनों के शुभ होकर संयुक्त हो जाने से बुधादित्य योग का निर्माण होने पर भी इस योग से संबंधित शुभ फलों को बताने से पहले कुंडली में सूर्य तथा बुध का बल तथा स्थिति देख लेनी अति आवश्यक है जिसके कारण इस योग के शुभ फलों में बहुत अंतर आ सकता है।
उदाहरण के लिए इस योग के किसी कुंडली में तुला अथवा मीन राशि में स्थित सूर्य तथा बुध के संयोग से बनने पर यह योग जातक के लिए अधिक फलदायी नहीं होगा क्योंकि तुला में सूर्य तथा मीन में बुध बलहीन अथवा नीच रहते हैं तथा कोई भी बलहीन ग्रह कोई शुभ योग बनाने पर भी जातक को बहुत अधिक शुभ फल प्रदान नहीं कर सकता। यह योग उस स्थिति में और भी कमजोर हो जाएगा जब शुभ सूर्य तथा बुध किसी कुंडली में मीन राशि में स्थित हों क्योंकि मीन राशि में बुधादित्य योग के बनने से बुध को दोहरी बलहीनता का सामना करना पड़ सकता है जिसमें से एक तो बुध के मीन राशि में स्थित होने से है तथा दूसरी सूर्य के अधिक पास होने के कारण बुध के अस्त हो जाने के कारण हो सकती है जिससे इस योग की फल प्रदान करने की क्षमता में और भी कमी आ जाएगी। इसी प्रकार कुंडली के किसी बलहीन घर में बनने वाला बुध आदित्य योग भी अपेक्षाकृत कम शुभ फल प्रदान करेगा तथा किसी कुंडली में सूर्य पर किसी अशुभ ग्रह का प्रभाव होने के कारण पित्र दोष बनने पर भी इस योग का शुभ फल बहुत सीमा तक कम हो जाएगा। इसलिए बुध आदित्य योग के किसी कुंडली में बनने तथा इसके शुभ फलों से संबंधित निर्णय करने से पहले इस योग के निर्माण तथा फलादेश से संबंधित सभी महत्वपूर्ण तथ्यों पर भली भांति विचार कर लेना चाहिए तथा उसके पश्चात ही किसी कुंडली में इस योग का बनना तथा इसके शुभ फलों का निर्णय करना चाहिए।

किसी कुंडली में ठीक प्रकार से बनने पर बुधादित्य योग जातक को कुंडली के विभिन्न घर में अपनी स्थिति के आधार पर नीचे बताए गए कुछ संभावित फल प्रदान कर सकता है।

बुधादित्य योग यदि लग्न में हो तो
प्रथम भाव में बुधादित्य योग

👉  बालक का कद माता-पिता के बीच का होता है। यदि वृष, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, कुंभ, राशि लग्न में हो तो लंबा कद होता है। जातक का स्वभाव कठोर तथा वात-पित्त-कफ से पीड़ित होता है।

बाल्यावस्था में कान, नाक, आंख, गला, दांत आदि में कष्ट सहन करना पड़ता है। स्वभाव से वीर, क्षमाशील, कुशाग्र बुद्धि, उदार, साहसी एवं आत्मसम्मानी होता है। स्त्री जातक में प्राय: चिड़चिड़ापन तथा बालों में भूरापन भी देखा जाता है।

मतांतर से लग्न में स्थित बुधादित्य योग जातक को मान, सम्मान, प्रसिद्धि, व्यवसायिक सफलता तथा अन्य कई प्रकार के शुभ फल प्रदान कर सकता है।

 द्वितीय भाव में यदि बु‍धादित्य योग हो तो
👉 जातक की तार्किक अभिव्यक्ति होती है, लेकिन व्यवहार में शून्यता-सी झलकती है। कई अभियंताओं, घूसखोरों एवं ऋण लेकर तथा दूसरों के धन से व्यवसाय करने वाले या दूसरों की पुस्तकें लेकर अध्ययन करने वाले लोगों के लिए स्‍थिति प्राय: बनी हुई होती है। यह योग जातक को धन, संपत्ति, ऐश्वर्य, सुखी वैवाहिक जीवन तथा अन्य कई प्रकार के शुभ फल प्रदान कर सकता है।

 तृतीय भाव में यदि बुधादित्य योग हो तो
👉  जातक स्वयं परिश्रमी होता है तथा भाई-बहनों में आत्मीय स्नेह नहीं पा सकता। मौसी को कष्ट रहता है तथा भाग्योदय के अनेक अवसर खो देता है। पात्रता के अनुरूप नौकरीपेशा तथा व्यवसाय अवश्य प्रदान करवाता है, लेकिन पारिवारिक खुशहाली में बाधक होता है।
तीसरे घर मे यह योग जातक को बहुत अच्छी रचनात्मक क्षमता प्रदान कर सकता है जिसके चलते ऐसे जातक रचनात्मक क्षेत्रों में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त तीसर घर का बुध आदित्य योग जातक को सेना अथवा पुलिस में किसी अच्छे पद की प्राप्ति भी करवा सकता है।

चतुर्थ भाव में बुधादित्य योग
👉 इस भाव के योग को अधिकतर विद्वान एवं ग्रंथ श्रेष्ठ मानते हैं। चतुर्थ भाव में बुधादित्य योग मनुष्य को आशातीत सफलता प्रदान करने वाला होता है। संस्था प्रधान, तार्किक मति, कुलपति, प्रोफेसर, इंजीनियर, सफल राजनेता, न्यायाधीश या उच्च कोटि का अपराधी भी बना देता है।

माता का स्वास्थ्य चिंताजनक तथा पत्नी के भाग्य का भी सहारा मिलता है। अपनी स्थायी संपत्ति होते हुए भी दूसरों या सरकारी वाहनों, भवनों का उपयोग करने वाला तथा विषमलिंगी मित्रों का सहयोग एवं प्रेम करने वाला होता है। यह योग जातक को सुखमय वैवाहिक जीवन, ऐश्वर्य, रहने के लिए सुंदर तथा सुविधाजनक घर, वाहन सुख तथा विदेश भ्रमण आदि जैसे शुभ फल प्रदान कर सकता है।

पंचम भाव में 
👉  अल्प संतान लेकिन प्रतिभा संपन्न संतान प्रदान करवाता है। चित्त में उद्विग्नता वात रोग एवं यकृत विकार की प्रबल संभावना बन जाती है। घर में भाभी या बड़ी बहन से वैचारिक मतभेद होते हैं। मेष, सिंह, वृश्चिक, धनु, मीन राशि में यह योग अल्प संतान प्रदाता होता है। स्त्री ग्रहों से दृष्ट होने पर कन्या संतान की अधिकता संभव होती है। पांचवे घर का बुध आदित्य योग जातक को बहुत अच्छी कलात्मक क्षमता, नेतृत्व क्षमता तथा आध्यातमिक शक्ति प्रदान कर सकता है जिसके चलते ऐसा जातक अपने जीवन के अनेक क्षेत्रों में सफलता प्राप्त कर सकता है।

छठवें भाव में  सूर्य बुध के साथ हो तो
👉  शत्रुओं की मिथ्या विरोधी क्रियाओं से चिंतायुक्त होते हुए भी आत्मविश्वास बना रहता है। मामा पक्ष से बचपन में लाभ मिलता है, लेकिन आवश्यकता पड़ने पर सहयोग नहीं मिल पाता है। इस भाव मे यह योग जातक को एक सफल वकील, जज, चिकित्सक, ज्योतिषी आदि बना सकता है तथा इस योग के प्रभाव में आने वाले जातक अपने व्यवसाय के माध्यम से बहुत धन तथा ख्याति अर्जित कर सकते हैं।

सप्तम भाव में सूर्य बुध के साथ हो तो
👉  शत्रुओं की मिथ्या विरोधी क्रियाओं से चिंतायुक्त होते हुए भी आत्मविश्वास बना रहता है। मामा पक्ष से बचपन में लाभ मिलता है लेकिन आवश्यकता पड़ने पर सहयोग नहीं मिल पाता है। सप्तम भाव में बुधादित्य योग यौन रोगों को उत्पन्न करने वाला तथा अत्यंत कामी भाव को समय एवं परिस्थिति को ध्यान में रखकर उत्पन्न करने वाला होता है। ऐसे लोग अपने जीवनसाथी की उपेक्षा कर दूसरों की ओर विशेष आकृष्ट होने वाले होते हैं लेकिन कभी भी अंतरंग संबंधों में नहीं बंध पाते हैं। सप्तम के बुधादित्य योग वाले प्राय: चिकित्सक, अभिनेता निजी सहायक, रत्न व्यवसायी, समाजसेवा एवं स्वयंसेवी संस्थाओं से संबद्ध होते हैं। सिंह या मेष राशि सप्तम में हो तो एकनिष्ठ होते हैं। शुभ ग्रहों की दृष्टि एवं सान्निध्य इन योगों में बड़ा भारी परिवर्तन भी कर देता है। जातक के वैवाहिक जीवन को सुखमय बना सकता है तथा यह योग जातक को सामाजिक प्रतिष्ठा तथा प्रभुत्व वाला कोई पद भी दिला सकता है।

आठवें भाव में यदि बु‍धादित्य योग हो तो
👉  जातक किसी को सहयोग करने के चक्कर में स्वयं उलझ जाता है। दुर्घटना में पैर, हाथ, गाल, नाखून एवं दांत पर चोट का भय बना रहता है। विदेशी मुद्रा से व्यापार, किडनी स्टोन, आमाशय में जलन तथा आंतों में विकार भी इस योग का परिणाम बन जाता है। कुंडली के आठवें घर में बनने वाला बुधादित्य योग जातक को किसी वसीयत आदि के माध्यम से धन प्राप्त करवा सकता है तथा यह योग जातक को आध्यात्म तथा परा विज्ञान के क्षेत्रों में भी सफलता प्रदान कर सकता है
नवमें भाव में 
👉 जातक को स्वाभिमानी के साथ-साथ अहंकारी बना देता है तथा प्रारंभ में कई सुअवसरों का परित्याग बड़े भारी पश्चाताप का कारण बनता है। नौवें घर में बुध आदित्य योग जातक को उसके जीवन के अनेक क्षेत्रों में सफलता प्रदान कर सकता है तथा इस योग के शुभ प्रभाव में आने वाले जातक सरकार में मंत्री पद अथवा किसी प्रतिष्ठित धार्मिक संस्था में उच्च पद भी प्राप्त कर सकते हैं।

दशम भाव में बुधादित्य योग
👉  बुद्धिमान, धन कमाने में चतुर, साहसी एवं संगीत प्रेमी बनाता है। पुत्र-पौत्रादि सुख से संपन्न लेकिन एक संतान से चिंतित भी बनाता है। धार्मिक स्थानों का निर्माण लंबी ख्याति प्रदान कराता है। इस घर में बनने वाला बुधादित्य योग जातक को उसके व्यवसायिक क्षेत्र में सफलता प्रदान कर सकता है तथा ऐसा जातक अपने किसी अविष्कार, खोज अथवा अनुसंधान के सफल होने के कारण बहुत ख्याति भी प्राप्त कर सकता है।

एकादश भाव में यदि सूर्य बुध के साथ हो तो
👉👉यशस्वी, ज्ञानी, संगीत विद्या प्रिय, रूपवान एवं धनधान्य से संपन्न करवाता है। लोकसेवा के लिए सरकार एवं अनेक प्रतिष्ठानों से धन की प्राप्ति होती है।ग्यारहवें घर में बनने वाला बुधादित्य योग जातक को बहुत मात्रा में धन प्रदान कर सकता है तथा इस प्रकार के बुध आदित्य योग के प्रभाव में आने वाला जातक सरकार में मंत्री पद अथवा कोई अन्य प्रतिष्ठा अथवा प्रभुत्व वाला पद भी प्राप्त कर सकता है।

द्वादश भाव में बुधादित्य योग
👉  चाचा-ताऊ से विरोध करवाता है तथा अपनी संपत्ति उनके चंगुल में फंस जाती है। जुआ, सट्टा, शेयर या अन्य आकस्मिक धन-लाभ के व्यवसायों में फंसकर अपना सर्वस्व लूटा देता है। बारहवें घर में बुधादित्य योग जातक को विदेशों में सफलता, वैवाहिक जीवन में सुख तथा आध्यात्मिक विकास प्रदान कर सकता है।
इस योग के कई अपवाद भी है बुधादित्य योग को राशि एवं अन्य ग्रहों के संबंध भी प्रभावित करते हैं लेकिन अलग-अलग भावों में एकाकी हो तो ऐसा ही फल प्रदान करता है।

Monday, April 20, 2020

जानिए अष्टांग निमित्त क्या हैं ? उनसे आप सब कुछ जान साजरे हैं

अष्टांग निमत्त

जिन लक्षणों को देखकर भूत और भविष्यत् में घटित हुई और होने वाली घटनाओं का निरुपण किया जाता है, उन्हें निमित्त कहते हैं।

इन्हीं सूचक निमित्तों के संहिता ग्रन्थों में आठ भेद किये गये हैं।

(1) *व्यंजन* (2) *अंग*(3) *स्वर*(4) भौम
(5) *छिन्न*(6) *अंतरिक्ष*(7) लक्षण (8) स्वप्न ।

(1) व्यंजन- *तिल , मस्सा , चट्टा, आदि को देखकर शुभाशुभ का निरुपण करना व्यंजन निमित्त ज्ञान है*

*साधारणत: पुरुष के शरीर में दाहिनी और तिल मस्सा चट्टा शुभ समझा जाता है।*

* *नारी के शरीर में इन्ही व्यंजनों का बायीं ओर होना शुभ माना जाता है।*

(2) अंग निमित्त हाथ पांव, ललाट, मस्तक और वृक्ष: स्थल को देखकर शुभाशुभ फल का निरुपण करना अंग निमित्त है।*

*नासिका , नैत्र , दन्त , ललाट , मस्तक , वृक्ष स्थल ये छ: अवयव उन्नत होने से मनुष्य सुलक्षण युक्त होता है।*

*करतल , पदतल , नयनप्रान्त ,नख , तालु , अधर , और जिह्वा ये सात अंग लाल हो तो शुभप्रद है।*

(3)स्वर निमित्त - चेतन प्राणियों के और अचेतन वस्तुओं के शब्द सुनकर शुभाशुभ का निरुपण करना स्वर निमित्त कहलाता है।*

(4) भौम निमित्त भूमि के रंग, चिकनाहट ,रूखेपन , आदि के द्वारा शुभाशुभत्व अवगत करना भौम निमित्त कहलाता है।*

*(इस निमित्त से गृह-निर्माण योग्य भूमि , देवालय-निर्माण योग्य भूमि, , जलाशय- निर्माण योग्य भूमि आदि बातों की जानकारी प्राप्त की जाती है। )*

(5) छिन्न निमित्त - वस्त्र, शस्त्र , आसन और छत्रादि को हुआ देखकर शुभाशुभ फल कहना छिन्न निमित्त ज्ञान है।*

(6) अंतरिक्ष निमित्त- *ग्रह नक्षत्रों के उदयास्त द्वारा शुभाशुभ का निरुपण करना अन्तरिक्ष निमित्त है।*

*(शुक्र , बुध , मंगल , गुरु और शनि इन पांचों ग्रहों के उदयास्त द्वारा ही शुभाशुभ फल का निरुपण किया जाता है)*

(7) लक्षण निमित्त -स्वस्तिक , कलश , शंख , चक्र आदि चिन्हों के द्वारा एवं हस्त , मस्तक , और पदतल की रेखाओं द्वारा शुभाशुभ का निरुपण करना लक्षण निमित्त है।*

(8)  स्वप्न निमित्त-स्वप्न द्वारा शुभाशुभ का वर्णन करना स्वप्न निमित्त है।*

उपरोक्त निमित्तों का ज्ञान सम्यक रीत्या करना चाहिए 

Sunday, April 12, 2020

अपने जन्म नक्षत्र से करें अपना लक्ष्य निर्धारण

अपने जन्म नक्षत्र के अनुसार जानिए किस क्षेत्र में होंगे आप सफल...

1. अश्विनी नक्षत्र

अश्विनी नक्षत्र में जन्मे लोग अगर यातायात से जुड़ा कोई कार्य करेंगे तो उन्हें सफलता मिलेगी। इसके अलावा खेल, दवाइयां, कृषि, जिम, जौहरी, सुनार आदि से संबंधित क्षेत्र भी फायदा पहुंचाएंगे।

2. भरणी नक्षत्र

भरणी नक्षत्र में जन्मे जातकों को जन्म देने वाली दाई, गृह सेवक, शवगृह अधिकारी, दाह-संस्कार से संबंधित कार्य करने चाहिए। वे बच्चों का ध्यान रखने वाले या नर्सरी स्कूल के अध्यापक के तौर पर भी कार्य कर सकते हैं। तम्बाकू, कॉफी, चाय से जुड़े क्षेत्र भी लाभ पहुंचाएंगे।

3. कृत्तिका नक्षत्र

कृत्तिका नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग ऐसे क्षेत्र में सफल हो सकते हैं, जो नुकीली चीज या तेज धार से जुड़े हों। आप चाकू, तलवार के निर्माण से जुड़ सकते हैं या फिर अच्छे लोहार या वकील भी साबित हो सकते हैं। अगर आप ऐसे किसी कार्य से जुड़ते हैं जिसके अनुसार नशे के आदी लोगों को सुधारा जाता है तो अवश्य सफलता मिलेगी।

4. रोहिणी नक्षत्र

रोहिणी नक्षत्र से संबंधित लोग खानपान के कार्य से जुड़ेंगे तो सफलता मिलेगी। खाना बनाना हो या फिर बांटना, ये कार्य आपके लिए उत्तम हैं। इसके अलावा कला का क्षेत्र भी आपके लिए है। आप अच्छे कलाकार, गायक, संगीतकार भी हो सकते हैं। इस नक्षत्र में जन्मे लोग रचनात्मक होते हैं।

5. मृगशिरा नक्षत्र

यात्रा से जुड़े कार्य में अगर आप संलग्न हैं तो आपको अवश्य ही सफलता मिलेगी। इसके अलावा शिक्षा, खगोलशास्त्र, पैसे का हिसाब-किताब रखना, ये सभी क्षेत्र भी आपको लाभ दिलवाएंगे। कपड़े के काम में लिप्त लोगों को भी लाभ मिलेगा।

6. आर्द्रा नक्षत्र

बिजली के उपकरण या बिजली से संबंधित कोई अन्य कार्य करना आपके लिए फायदेमंद रहेगा। कम्प्यूटर, तकनीक, गणित, वैज्ञानिक, गैमिंग आदि से संबंधित क्षेत्र आपके लिए हैं। इसके अलावा डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ का काम भी आपको सूट करेगा। अगर आप जासूस हैं या रहस्य सुलझाने जैसे कार्य कर रहे हैं तो भी आपको सफलता मिलेगी।

7. पुनर्वसु नक्षत्र

काल्पनिक कहानियां लिखने या खरीदने-बेचने से संबंधित कोई कार्य करना, ये आपके लिए फायदेमंद साबित होंगे। यात्रा और रखरखाव से संबंधित कार्य भी आप कर सकते हैं। अगर आप होटल मैनेजमेंट में कार्यरत हैं या फिर दीक्षा देने का काम करते हैं तो आपको फायदा मिलेगा। इतिहासकार या भेड़-बकरियों को पालने वाले लोग भी सफलता प्राप्त करेंगे।

8. पुष्य नक्षत्र

दूध से संबंधित व्यापार करने वाले लोग सफलता प्राप्त करेंगे। कैटरिंग करने वाले और होटल चलाने वाले लोग भी अच्छे व्यवसाय में हैं। नेता, शासक, धार्मिक कार्य करने वाले लोग, शिक्षक और अध्यापक आदि लोग लाभ प्राप्त करते हैं।

9. आश्लेषा नक्षत्र

पेट्रोलियम, सिगरेट, कानूनी, दवाइयों से संबंधित इंडस्ट्री से जुड़े लोग अवश्य लाभ प्राप्त करेंगे। इस नक्षत्र में जन्मे लोग तांत्रिक, सांप का जहर, बिल्ली पालने वाले, सीक्रेट सर्विस करने वाले, मनोवैज्ञानिक होते हैं। ये पोंगे पंडित और आत्माओं को बुलाने वाले भी होते हैं।


10. मघा नक्षत्र

इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग शाही तो नहीं होते लेकिन उनका शाही घरानों से सीधा संपर्क रहता है। वे उनके मैनेजर भी हो सकते हैं और महत्वपूर्ण कर्मचारी भी। इसके अलावा सरकार के अधीन बड़े पदों में काम करने वाले, बड़े वकील, जज, नेता, वक्ता, ज्योतिष, पुरातत्व वैज्ञानिक भी इसी नक्षत्र में जन्म लेने वाले होते हैं।

11. पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र

इस नक्षत्र में जन्मे लोग अगर महिलाओं से संबंधित सामान या बहुमूल्य रत्नों का व्यापार करते हैं तो उन्हें अवश्य ही सफलता मिलती है। ब्यूटीशियन, गायक, घर की साज-सज्जा या अन्य रचनात्मक क्षेत्र से जुड़े लोग अवश्य ही सफलता प्राप्त करते हैं। विवाह से संबंधित हर करियर भी आप ही के लिए हैं।

12. उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र

मनोरंजन, खेल और कला से संबंधित क्षेत्रों में कार्य करने वाले लोग अवश्य ही सफलता प्राप्त करते हैं। इस नक्षत्र में जन्मे धार्मिक संस्थानों के मुखिया या पुजारी, परोपकार करने वाले, दान-पुण्य के कार्य से जुड़े, शादी-विवाह से संबंधित सलाह देने वाले या अंतरराष्ट्रीय मसलों से संबंधित लोग भी सफलता प्राप्त करते हैं।

13. हस्त नक्षत्र

गहने बनाने वाले लोग, सेहत से संबंधित कार्य करने वाले, हास्य कलाकार, काल्पनिक कहानियां लिखने वाले, उपन्यासकार, रेडियो या टेलीविजन इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का संबंध अगर हस्त नक्षत्र से है तो उन्हें अवश्य ही सफलता मिलती है।

14. चित्रा नक्षत्र

अपना बिजनेस चलाने वाले, घर की साज-सज्जा, गहने बनाने, फैशन डिजाइनर, मॉडल्स, कॉस्मेटिक, वास्तु-फेंगशुई, ग्राफिक आर्टिस्ट, सर्जन, प्लास्टिक सर्जन, स्टेज आर्टिस्ट, गायक, इन क्षेत्रों में कार्यरत लोग सफलता प्राप्त अवश्य करते हैं।

15. स्वाति नक्षत्र

व्यवसाय चलाने वाले, गायक, वाद्य यंत्र बजाने वाले, अध्ययन कार्य में संलिप्त, स्वतंत्र कार्य करने वाले, सामाजिक सेवा में लिप्त लोग सफल होते हैं। इसके अलावा न्यूज रीडर, कम्प्यूटर्स और सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री में काम करने वाले लोग सफलता पाते हैं।

16. विशाखा नक्षत्र

शराब, फैशन, कला और साथ ही बोलने संबंधित क्षेत्रों में कार्य करने वाले ओग सफलता हासिल करते हैं। इसके अलावा सफल राजनेता, खिलाड़ी, धार्मिक नेता, नर्तक, सैनिक, आलोचक, अपराधियों का संबंध भी इसी नक्षत्र से है।

17. अनुराधा नक्षत्र

सम्मोहन क्रिया में लिप्त, ज्योतिष शास्त्री, सिनेमा संबंधित क्षेत्र, फोटोग्राफर, फैक्टरी में काम करने वाले मजदूर, औद्योगिक क्षेत्र से संबंधित, वैज्ञानिक, गणितज्ञ, डेटा एक्सपर्ट, अंकशास्त्र विशेषज्ञ, खदानों में काम करने वाले, विदेश व्यापार से संबंधित लोग सफलता प्राप्त करते हैं।

18. ज्येष्ठा नक्षत्र

नीति निर्माण से संबंधित क्षेत्रों में कार्य करने वाले लोग, सरकारी अधिकारी, रिपोर्टर्स, रेडियो जॉकी, न्यूज रीडर, टॉक शो होस्ट, वक्ता, काला जादू करने वाले, जासूस, माफिया, सर्जन, हस्त कारीगर, एथलीट्स आदि क्षेत्रों से संबंधित लोग सफलता प्राप्त करते हैं।

19. मूल नक्षत्र

इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोगों के लिए दवाइयों से संबंधित क्षेत्र, न्याय, जासूसी, रक्षा, अध्ययन जैसे कार्य सफलता दिलवाएंगे। इसके अलावा वक्ता, सार्वजनिक नेता, सब्जियों के व्यापारी, अंगरक्षक, मल्लयुद्ध करने वाले, गणितज्ञ, सोने की खदान में काम करने वाले, घुड़सवार भी सफल होते हैं।

20. पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र

शिप संबंधी उद्योग में काम करने वाले प्रेरण, अध्यापक, भाषण देने वाले, फैशन एक्सपर्ट्स, कच्चे सामान का विक्रय करने वाले, बालों की सजावट देखने वाले, तरल पदार्थों का कार्य करने वाले लोग सफलता प्राप्त करते हैं।

21. उत्तराषाढ़ा नक्षत्र

ज्योतिष, वकील, सरकारी अधिकारी, सेना में कार्यरत, अध्ययनकर्ता, सुरक्षा कार्य, व्यापारी, प्रबंधक, क्रिकेट खिलाड़ी, राजनेता और उत्तरदायित्व निभाने वाले कार्यों को करने वाले लोग सफल होते हैं।

22. श्रवण नक्षत्र

किसी भी क्षेत्र में काम करने वाले अध्यापक, वक्ता, बौद्धिक, छात्र, भाषाविद, कहानीकार, हास्य अभिनेता, गायन से संबंधित क्षेत्र से जुड़े लोग, टेलीफोन ऑपरेटर्स, मनोवैज्ञानिक, यातायात से संबंधित क्षेत्र में कार्यरत लोग सफलतम होते हैं।

23. धनिष्ठा नक्षत्र

गायन, वादन, नृत्य, म्यूजिक बैंड इन सबसे संबंधित क्षेत्र के लोग सफलता पाते हैं। इसके अलावा मनोरंजन उद्योग, रचनात्मक क्षेत्र, कवि, ज्योतिष शास्त्री, प्रेत आत्माओं को बुलाने वाले लोग सफलता हासिल करते हैं।

24. शतभिषा नक्षत्र

ड्रग्स या दवाइयों से संबंधित क्षेत्र में काम करने वाले लोग सफलता प्राप्त करते हैं। सर्जन, मदिरा से जुड़े क्षेत्रों में कार्यरत लोग भी सफलता पाते हैं।

25. पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र

मृत्यु से संबंधित किसी भी व्यवसाय से जुड़े लोग सफल होते हैं। कॉफिन बनाने वाले, कब्र खोदने वाले, अंतिम संस्कार से संबंधित सामान का व्यापार करने वाले सफलता पाते हैं। इसके साथ-साथ आतंकवादी, हथियार बनाने वाले, काला जादू करने वाले लोग भी सफलता पाते हैं।

26. उत्तराभाद्रपद नक्षत्र

योग और ध्यान से संबंधित क्षेत्रों में कार्यरत लोग सफलता प्राप्त करते हैं। तंत्र-मंत्र करने वाले और रूहानी ताकतों से संपर्क स्थापित करने वाले लोगों को सफलता अवश्य मिलती है। इसके अलावा दान-पुण्य करने वाले लोग भी सफल होते हैं।

27. रेवती नक्षत्र

सम्मोहन क्रिया करने वाले लोग, जादूगर, गायक, कलाकार, आर्टिस्ट, हास्य कलाकार, मनोरंजन करने वाले, कंस्ट्रक्शन बिजनेस से जुड़े लोग सफलता पाते हैं।,,


डॉ आशीष जैन शिक्षाचार्य
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Saturday, April 11, 2020

मोदी जी ने किया श्री महावीर स्वामी के अनेकांत सिद्धांत का पालन


मोदी जी ने किया श्री महावीर स्वामी के अनेकांत सिद्धांत का पालन 

 ✍️©डॉ आशीष जैन शिक्षाचार्य सगरा दमोह मध्य प्रदेश
                9826443973
जान भी और जहान भी
माननीय मोदी जी ने भगवान महावीर के अनेकांत सिद्धांत को अपनाकर भारत की रक्षा के साथ -साथ प्राणी मात्र की रक्षा के लिए अभूतपूर्व कदम उठाया है ।  उन्होंने 11 अप्रैल 2020 की मुख्यमंत्री वार्ता में एक संबोधन दिया  "जान भी और जहान भी "यह महावीर भगवान के अनेकांत का ही हिस्सा है । जिसमें बहुजन हिताय बहुजन सुखाय के साथ  प्राणी मात्र रक्षणाय का  सिद्धान्त निहित होता है ।
ही और भी का सिद्धांत जिसे समझ आ गया वह विश्व विजेता के साथ कर्म विजेता भी बनने की सामर्थ्य प्रदान करता है ।
इसे कैसे समझें
जैसे किसी व्यक्ति ने  5 अंधे व्यक्तियों से कहा कि आप लोगों ने हाथी के स्वरूप को जानते हो , तब जन्मांध व्यक्तियों ने कहा कि हमने हाथी को देखा नहीं पर उसके स्वरूप का स्पर्श करके बता सकते हैं कि हाथी का स्वरूप कैसा होता है ।
उस व्यक्ति ने सर्कस के हाथी को महावत के साथ बुलाया और उन्हें स्पर्श कराया उनमें से किसी ने  हाथी के कान, किसी ने पूंछ ,किसी ने पैर ,किसी ने पेट तो किसी ने सूंढ़  का स्पर्श किया । फिर उनसे पूंछा गया कि बताइये हाथी का स्वरूप कैसा है ।

जिसने  हाथी के  कान पकड़े थे उसने कहा कि -हाथी सूपा जैसा है ।

जिसने पूंछ पकड़ी उसने कहा रस्सी के जैसा है ।
जिसने पैर पकड़े उसने कहा कि खंबे के जैसा है ।
जिसने पेट पकड़ा  उसने कहा कि बड़े मटके के जैसा है
जिसने सूढ़ पकड़ी वह उसने कहा कि कदली वृक्ष के जैसा है ।
पांचों में बहस छिड़ गई
हाथी -सूपा जैसा ही है,
रस्सी जैसा ही है,
खम्बे जैसा ही है,
 बड़े मटके जैसा ही है ,
कदली वृक्ष जैसा ही है ।
कोई किसी की बात को नहीं मान रहे थे
तब उस बुद्धिमान व्यक्ति ने कहा कि आप सभी की बात सत्य है पर आप सभी हठाग्रह और दुराग्रह पूर्ण वार्तालाप कर रहे हैं । *इसमें आप लोग ही शब्द की  जगह भी शब्द लगा लें तो एक हाथी का सच्चा स्वरूप बन जायेगा और सभी के वचनों की रक्षा भी हो जाएगी*

हाथी -सूपा के जैसा भी है
 ,रस्सी के जैसा भी है,
खम्बे के जैसा भी है,
बडे मटके के जैसा भी है,
कदली वृक्ष के जैसा भी है ।
इस अनेकांत सिद्धांत ने उनके आपसी झगड़े को समाप्त कर दिया । ही शब्द हठाग्रह, अशान्ति का प्रतीक है ।
और भी शब्द  अनुग्रह ,समन्वय ,सुमति शान्ति
का प्रतीक है।
आज मोदी जी के *जान भी और जहान भी*  संबोधन में अनेकांत का सिद्धान्त घटित होता है और भारत को विश्व गुरु बनने की स्वतः भूमिका को भी निभा रहा है ।
मोदी जी ने  इस सिद्धान्त से केवल भारत ही नहीं अपितु
अमेरिका भी ,
स्पेन भी,
बांग्लादेश भी,
 और भी अन्य देशों को अपने भारत में समेट लिया
मोदी जी  ने जो  संक्रिमत समस्त देशों  को औषधि दान दिया  है ।यह वैश्विक औषधि दान  है इसमें प्राणी मात्र की रक्षा का उद्देश्य निहित है जिसमें महावीर की अहिंसा के बृह्ददर्शन भी हो रहे हैं।
यही अनुग्रह ,परोपकार , धर्म  भारत के विश्व गुरु के स्वरूप का विग्रह दर्शन कराएगा।
भारत को पुराने ऋण से मुक्त भी कराया
अब भारत को विश्व गुरु बनने से कोई भी नहीं रोक सकता ।

*यत्र धर्म:तत्र जय:*
जहाँ धर्म होता है वहाँ विजय निश्चित होती है ।
अतः जो लोग ये कह रहे हैं कि भगवान के मंदिरों के पट  बंद हैं वे काम नहीं आये। उनसे कहूंगा कि मन्दिर और आराध्य की मूर्ति धर्म करने के प्रेरणा रूप कारण  स्रोत हैं और धर्म की भावना, परोपकार की भावना, प्राणी मात्र के हित की भावना, विश्वकल्याण की भावना धर्म के साक्षत कार्यरूप स्रोत हैं ।


जयदु जिण शासनं
जय महावीर

डॉ आशीष जैन शिक्षाचार्य

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