मोदी जी ने किया श्री महावीर स्वामी के अनेकांत सिद्धांत का पालन
✍️©डॉ आशीष जैन शिक्षाचार्य सगरा दमोह मध्य प्रदेश
9826443973
जान भी और जहान भी
माननीय मोदी जी ने भगवान महावीर के अनेकांत सिद्धांत को अपनाकर भारत की रक्षा के साथ -साथ प्राणी मात्र की रक्षा के लिए अभूतपूर्व कदम उठाया है । उन्होंने 11 अप्रैल 2020 की मुख्यमंत्री वार्ता में एक संबोधन दिया "जान भी और जहान भी "यह महावीर भगवान के अनेकांत का ही हिस्सा है । जिसमें बहुजन हिताय बहुजन सुखाय के साथ प्राणी मात्र रक्षणाय का सिद्धान्त निहित होता है ।
ही और भी का सिद्धांत जिसे समझ आ गया वह विश्व विजेता के साथ कर्म विजेता भी बनने की सामर्थ्य प्रदान करता है ।
इसे कैसे समझें
जैसे किसी व्यक्ति ने 5 अंधे व्यक्तियों से कहा कि आप लोगों ने हाथी के स्वरूप को जानते हो , तब जन्मांध व्यक्तियों ने कहा कि हमने हाथी को देखा नहीं पर उसके स्वरूप का स्पर्श करके बता सकते हैं कि हाथी का स्वरूप कैसा होता है ।
उस व्यक्ति ने सर्कस के हाथी को महावत के साथ बुलाया और उन्हें स्पर्श कराया उनमें से किसी ने हाथी के कान, किसी ने पूंछ ,किसी ने पैर ,किसी ने पेट तो किसी ने सूंढ़ का स्पर्श किया । फिर उनसे पूंछा गया कि बताइये हाथी का स्वरूप कैसा है ।
जिसने हाथी के कान पकड़े थे उसने कहा कि -हाथी सूपा जैसा है ।
जिसने पूंछ पकड़ी उसने कहा रस्सी के जैसा है ।
जिसने पैर पकड़े उसने कहा कि खंबे के जैसा है ।
जिसने पेट पकड़ा उसने कहा कि बड़े मटके के जैसा है
जिसने सूढ़ पकड़ी वह उसने कहा कि कदली वृक्ष के जैसा है ।
पांचों में बहस छिड़ गई
हाथी -सूपा जैसा ही है,
रस्सी जैसा ही है,
खम्बे जैसा ही है,
बड़े मटके जैसा ही है ,
कदली वृक्ष जैसा ही है ।
कोई किसी की बात को नहीं मान रहे थे
तब उस बुद्धिमान व्यक्ति ने कहा कि आप सभी की बात सत्य है पर आप सभी हठाग्रह और दुराग्रह पूर्ण वार्तालाप कर रहे हैं । *इसमें आप लोग ही शब्द की जगह भी शब्द लगा लें तो एक हाथी का सच्चा स्वरूप बन जायेगा और सभी के वचनों की रक्षा भी हो जाएगी*
हाथी -सूपा के जैसा भी है
,रस्सी के जैसा भी है,
खम्बे के जैसा भी है,
बडे मटके के जैसा भी है,
कदली वृक्ष के जैसा भी है ।
इस अनेकांत सिद्धांत ने उनके आपसी झगड़े को समाप्त कर दिया । ही शब्द हठाग्रह, अशान्ति का प्रतीक है ।
और भी शब्द अनुग्रह ,समन्वय ,सुमति शान्ति
का प्रतीक है।
आज मोदी जी के *जान भी और जहान भी* संबोधन में अनेकांत का सिद्धान्त घटित होता है और भारत को विश्व गुरु बनने की स्वतः भूमिका को भी निभा रहा है ।
मोदी जी ने इस सिद्धान्त से केवल भारत ही नहीं अपितु
अमेरिका भी ,
स्पेन भी,
बांग्लादेश भी,
और भी अन्य देशों को अपने भारत में समेट लिया
मोदी जी ने जो संक्रिमत समस्त देशों को औषधि दान दिया है ।यह वैश्विक औषधि दान है इसमें प्राणी मात्र की रक्षा का उद्देश्य निहित है जिसमें महावीर की अहिंसा के बृह्ददर्शन भी हो रहे हैं।
यही अनुग्रह ,परोपकार , धर्म भारत के विश्व गुरु के स्वरूप का विग्रह दर्शन कराएगा।
भारत को पुराने ऋण से मुक्त भी कराया
अब भारत को विश्व गुरु बनने से कोई भी नहीं रोक सकता ।
*यत्र धर्म:तत्र जय:*
जहाँ धर्म होता है वहाँ विजय निश्चित होती है ।
अतः जो लोग ये कह रहे हैं कि भगवान के मंदिरों के पट बंद हैं वे काम नहीं आये। उनसे कहूंगा कि मन्दिर और आराध्य की मूर्ति धर्म करने के प्रेरणा रूप कारण स्रोत हैं और धर्म की भावना, परोपकार की भावना, प्राणी मात्र के हित की भावना, विश्वकल्याण की भावना धर्म के साक्षत कार्यरूप स्रोत हैं ।
जयदु जिण शासनं
जय महावीर
डॉ आशीष जैन शिक्षाचार्य
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Bhut hi uttam
ReplyDeleteअति उत्तम आशीष जी
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