महामन्त्र णमोकार और नवग्रह का सम्बन्ध
आचार्य श्री सुविधिसागर
❇❇❇❇❇❇❇
🔯 णमोकार मंत्र और नव ग्रह
जैन आर्ष परंपरानुसार भवनवासी , व्यन्तर , ज्योतिषी और कल्पवासी ये देवोंके चार भेद है .उनमें ज्योतिषी देवों के सुर्य , चंद्र , ग्रह ,नक्षत्र और तारे ये 5 भेद माने गये है. चन्द्रमा ज्योतिषी देवोंके इंद्र है और सुर्य प्रतीन्द्र है.
त्रिलोकसार आदि करणानुयोग ग्रंथों में सुर्य और चंद्र को ग्रह नही माना है बल्की उनके संबंधित 88 ग्रह है.
ज्योतिर्विदो ने 9 ग्रह स्वीकार किये है . उनके अनुसार जीव शुभ अशुभ कर्मोंका फल प्राप्त करता है , उसे जानने के लिए ग्रह साधन है.
णमोकारमन्त्र के द्वारा कर्मों के शुभफलदायक रस की अभिव्रुध्दि होती है और अशुभफलदायक रस की हानी होती है.
आइये देखते है 9 ग्रहोंके अशुभ फल को विनिष्ट कर जीवन की सर्वतोमुखी प्रगति के लिए णमोकारमन्त्र किस प्रकार सहयोगी बन सकता है.
1. सूर्य ग्रह -णमो सिद्धाणं
इसका प्रकोप कम करने के लिए, लक्ष्मी व्रुध्दी करने के लिए , प्रताप बढाने के लिए, तथा आसक्ती कम करने के लिए
णमो सिद्धाणं इस पद का जप तथा ध्यान करना चाहीये.
2.चंद्र ग्रह -णमो अरिहंताणं -
चन्द्रमा की पाप प्रक्रुति का शमन करने के लिए , मानसिक शुध्दी के लिए , पुज्यजनों की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए तथा धनलाभ के लिए *णमो अरिहंताणं* इस पद का जाप करना चाहिये.
3.मंगल ग्रह -णमो सिद्धाणं-
पराक्रम के वृद्धि के लिए, बहन भाइयों के साथ स्नेहभाव बढाने के लिए, शत्रुता नष्ट करने के लिए, किसी कार्य में विजय प्राप्त करने के लिए तथा रोगों का क्षय करने के लिए मंगल का प्रकोप उपशमित होना आवश्यक है . इसलिए *णमो सिध्दाणं* इस पद का जप तथा ध्यान करना चाहीये.
*4.बुधग्रह -णमोआइरियाणं-
विद्या की वृद्धि के लिए, वचनो के शुध्दी के लिए, तथा बुध ग्रह के अनिष्ठ फल के को दूर करने के लिए, *णमो आइरियाणं* इस पद का जप और ध्यान करना चाहीये.
5.गुरु ग्रह णमो आइरियाणं -
- गुरु के शुभ फल के रसभाग की अभिवृृद्धि के लिए, शरीर को पुष्ट करने के लिए, बुध्दी के विकास के लिए तथा आकाश तत्व के संतुलन के लिए *णमो आइरियाणं* इस पद का जप तथा ध्यान करना चाहीये.
5.शुक्र ग्रह- णमो आइरियाणं-
स्वार्थ को परमार्थ में परिवर्तीत करने के लिए , व्यापार व्रुध्दी के लिये ,वाहनादि विभुतियों के सम्प्राप्ति के लिए, तथा कार्मोजा को आत्मोर्जा में रुपांतरीत करने के लिए *णमो आइरियाणं* इस पद का जप तथा ध्यान करना चाहीये .
7. शनि ग्रह -णमो लोएसव्वसाहूणं
शनि का दुष्फल दूर करने के लिए, आयु की व्रुध्दी के लिए, विपत्तियोंका निवारण करने के लिए, सम्पत्ति को बढाने के लिए, वैराग्य के व्रुध्दी के लिए तथा मन को प्रसन्न करने के लिए *णमो लोए सव्वसाहुणं* इस पद का जप तथा ध्यान करना चाहीये.
8-राहु ग्रह-णमो लोए सव्वसाहूणं
राहु कि क्रूरता को कम करने के लिए, वैराग्य की स्थिरता के लिए, तथा सार्वभौमिक उन्नती के लिए *णमो लोए सव्व साहुणं*, इस पद का जप तथा ध्यान करना चाहीये.
9. केतु ग्रह -णमो उवझायाणं-
केतु की क्रूरता का उपशम करने के लिए, जैविक उन्नती के लिए तथा अध्यात्मिक विकास के लिए *णमो उवज्झायणं* इस पद का जप तथा ध्यान करना चाहीये.
No comments:
Post a Comment