Friday, December 28, 2018

लेश्या या मनोवृत्ति

लेश्या मनोवृत्ति 
कषायानुरंजितयोगप्रवृत्ति लेश्यो:

क्रोध मान माया लोभ से अनुरंजित मन वचन काय की प्रवृत्ति को लेश्या कहते हैं ।
मनोविज्ञान की दृष्टि से यदि कहा जाए तो -मानव के मन की वृत्तियों- प्रवृत्तियों  जो शुभ और अशुभ रूप में देखी जाती हैं लेश्या कहलाती हैं ।

प्रवृत्तियों के स्रोत -
मानव प्रवृत्तियां बहुत होती हैं पर उनके स्रोत निम्न हैं
क्रोध
मानव का मन जब  किसी कसरत से  अपने आपको उपेक्षित महसूस करने लगे उसकी अपेक्षाओं की उपेक्षा होने लगे तब उसकी क्रोध रूप प्रवृत्ति  प्रकट होती है
मान
जब मानव अपने आप को सबसे श्रेष्ठ उत्तम समझने लगे उसका झुकाव विनय समाप्त होने लगे और अकड़पन आने लगे वह अपने आप को दूसरों से भिन्न समझकर उनके तिरस्कार ईष्या अपमान करने का भाव आने लगे तो समझ लो हमारे अंदर अहं मान अहंकार का जन्म हो गया है ।

अहंकार  के आठ कारण हैं-
मानव इन आठ कारणों से अपने आपको भिन्न समझने लगता है ज्ञान पूज्यता, कुल, जाति,बल,समृद्धि,तप, और शरीर ।

माया
छल को माया कहा जाता है । जब मानव आपने निजी स्वार्थ के पीछे दूसरों को धोखा झूँठ और फरेब करके ठगने का प्रयास करता है तो वह स्वयं के माया जाल में उलझता जाता है। उसकी सरलता नामक गुण का ह्रास होता चला जाता है जिससे उसके आत्मिक गुण में गिरावट आ जाया करती है ।

लोभ
जो मानव को लोक में भटकाये उसे लोभ कहते हैं । जब मानव में सब होते हुए भी असन्तुष्टि का भाव आने लगे और उसे भौतिकता की सामग्रियों में लगाव अनुराग का भाव उत्पन्न होने लगे तो समझिए मानव में लोभ प्रवृत्ति बढ़ रही है ।

उपरोक्त कारणों में फंस कर मानव अपने मन वचन और शरीर को संलग्न कर लेता है उन भावों में लिप्त हो जाता है तो से धर्म की भाषा में लेश्या कहा जाता है ।

1 comment:

गाय के गोबर का महत्व

 आयुर्वेद ग्रंथों  में हमारे ऋषि मुनियों ने पहले ही बता दिया गया  था कि   *धोवन पानी पीने का वैज्ञानिक तथ्य और आज की आवश्यकता* वायुमण्डल में...