Saturday, January 5, 2019

चार अनुयोग को समझे

*जैन दर्शन के चारों अनुयोग को एक उदाहरण से समझे*

एक माँ अपने छोटे से बच्चे को लेकर बाजार गई,बच्चा रास्ते में गिरा और ज़ोर से रोने लगा,वह माँ उसको चुप करने के लिये क्या उपाय करती है।
*पहला उपाय* माँ कहती है की जब दीदी गिरी थी वो तो नहीं रोई,फिर तू क्यों रोता है,चुप हो जाओ अर्थात आचार्य भगवंत हमसे कहते हैं कि पूर्व में जो महापुरुष हुए हैं उनको भी उनके कर्म के उदय मे कैसी कैसी विपत्तियां आईं वह तो अपने धर्म से विचलित नहीं हुए तुम क्यों विचलित होते हो?उनकी तरह तुम भी धर्म में लगो और पाप से बचो। *ये प्रथमानुयोग की पद्धति है*|
*दूसरा उपाय* माँ कहती है कि सुबह दीदी से झगड़ा किया था इसलिए तुम्हे लगी!अर्थात आचार्य भगवंत हमें समझाते हैं कि जैसे पूर्व में परिणाम किये थे अब उसका फल भुगत रहे है,अपने परिणाम सम्हालो,इन्हीं को सम्हालने से अपना कल्याण हो सकता है।ये *करणानुयोग की पद्धति है*
*तीसरा उपाय* माँ कहती है देख कर तो चलते नहीं हो अब गिर गये तो रोते हो,अर्थात आचार्य भगवंत हमें समझाते है कि बाह्य आचरण को सम्हालो व्रत,नियम,संयम,तप आदि एवं अंतरंग में वीतराग भाव धारण करोगे तो तुम्हारा कल्याण होगा ये *चरणानुयोग की पद्धति है*
*चौथा उपाय* माँ बच्चे को गोद में लेती है और कहती है वो तो घोड़ा गिरा था तू तो मेरा राजा बेटा है तुझे थोड़े ही चोट लगती है अर्थात आचार्य भगवंत हमें समझाते है कि कहाँ तुम इस देह में आपा मान रहे हो वो तो पर्याय हैं,इन पर्याय में हर्ष विषाद नहीं करना चाहिए अपना स्व-भाव देखना चाहिए! *ये द्रव्यानुयोग की पद्धति है*
👉इस तरह हम किसी भी अनुयोग के माध्यम से अपने दुःख को दूर कर सकते हैं।
*🔴जैनम् जयतु शासनम् वंदे श्री वीरशासनम्🔴*

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