Wednesday, January 9, 2019

स्तोत्र पाठ

*श्री आद्याष्टक स्त्रोत*

अद्य मे सफलं जन्म,    नेत्रे च सफले मम।

त्वामद्राक्षं यतो देव,   हेतुमक्षयसंपद:॥ १॥



अद्य संसार-गम्भीर,  पारावार:  सुदुस्तर:।

सुतरोऽयं क्षणेनैव, जिनेन्द्र! तव दर्शनात्॥ २॥



अद्य मे क्षालितं गात्रं, नेत्रे च विमले कृते।

स्नातोऽहं धर्मतीर्थेषु, जिनेन्द्र! तव दर्शनात्॥ ३॥



अद्य मे सफलं जन्म, प्रशस्तं सर्वमङ्गलम्।

संसारार्णवतीर्णोऽहं, जिनेन्द्र! तव दर्शनात्॥ ४॥



अद्य कर्माष्टक-ज्वालं, विधूतं सकषायकम्।

दुर्गतेर्विनिवृत्तोऽहं,  जिनेन्द्र! तव दर्शनात्॥ ५॥



अद्य सौम्या ग्रहा: सर्वे, शुभाश्चैकादश-स्थिता:।

नष्टानि विघ्नजालानि, जिनेन्द्र! तव दर्शनात्॥ ६॥



अद्य नष्टो महाबन्ध:, कर्मणां दु:खदायक:।

सुख-सङ्गं समापन्नो, जिनेन्द्र! तव दर्शनात्॥ ७॥



अद्य कर्माष्टकं नष्टं, दु:खोत्पादन-कारकम्।

सुखाम्भोधि-र्निमग्नोऽहं, जिनेन्द्र! तव दर्शनात्॥ ८॥



अद्य मिथ्यान्धकारस्य,  हन्ता ज्ञान-दिवाकर:।

उदितो मच्छरीरेऽस्मिन्, जिनेन्द्र! तव दर्शनात्॥ ९॥



अद्याहं सुकृतीभूतो,  निर्धूताशेषकल्मष:।

भुवन-त्रय-पूज्योऽहं, जिनेन्द्र! तव दर्शनात्॥ १०॥



अद्याष्टकं पठेद्यस्तु,  गुणानन्दित-मानस:।

तस्य सर्वार्थसंसिद्धि-र्जिनेन्द्र! तव दर्शनात्॥ ११॥

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