Wednesday, January 23, 2019

विवाह में देरी क्यों :ज्योतिषीय परिप्रेक्ष्य में

विवाह में देरी का कारण और ज्योतिष

✍🏻हर माता-पिता का सपना होता है की उनके बच्चों की शादी सही समय पर हो जाए। लेकिन कभी-कभी जातक की कुंडली में कुछ ऐसे योग होते है, जिनसे विवाह में देरी होती है। इन योगों के कारण सुयोग्य लड़के या लड़की की शादी में अकारण ही बाधाएं आती हैं और बहुत कोशिशों के बाद भी विवाह जल्दी नहीं हो पाता है।
यहां जानिए विवाह में देरी कराने वाले कुछ ऐसे ही योगों के बारे में.....
१.-कुंडली के सप्तम भाव में बुध और शुक्र दोनों हो तो विवाह की बातें होती रहती हैं, लेकिन विवाह काफी समय के बाद होता है..! २.-चौथा भाव या लग्न भाव में मंगल हो और सप्तम भाव में शनि       हो तो व्यक्ति की रुचि शादी में नहीं होती है।
३.-सप्तम भाव में शनि और गुरु हो तो शादी देर से होती है।
४.-चंद्र से सप्तम में गुरु हो तो शादी देर से होती है।
५.-चंद्र की राशि कर्क से गुरु सप्तम हो तो विवाह में बाधाएं आती      हैं।
६.-सप्तम में त्रिक भाव का स्वामी हो, कोई शुभ ग्रह योगकारक        नही हो तो विवाह में देरी होती है।
७.-सूर्य, मंगल या बुध लग्न या लग्न के स्वामी पर दृष्टि डालते हों       और गुरु बारहवें भाव में बैठा हो तो व्यक्ति में आध्यात्मिकता         अधिक होने से विवाह में देरी होती है..।
८.-लग्न भाव में, सप्तम भाव में और बारहवें भाव में गुरु या शुभ        ग्रह योग कारक न हो और चंद्रमा कमजोर हो तो विवाह में            बाधाएं आती हैं...।
९.-कन्या की कुंडली में सप्तमेश या सप्तम भाव शनि से पीड़ित         हो तो विवाह देर से होता है.....इत्यादि..!!

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