Friday, January 18, 2019

नीति वाक्यम्

अनुकरण वाक्यम्

मंत्राधीनं जगत् सर्वं , मंत्राधीना देवता ।
ते मंत्रा: पंडिता धीना, तस्मात् पंडित देवता ।

मन्त्र के अधीन समस्त जगत् होता है , मन्त्रों के अधीन देवता होते हैं ।वे सभी मन्त्र विद्वान् पंडित  के अधीन होते हैं इसलिये इस जगत् में उन्हें देवता कहा जाता है ।

ध्यान रहे विद्वान् चरितवान होना चाहिए ।अलोभवृति, ऐंद्रिय निवृत्ति वाला , देश काल की विधि का ज्ञाता, प्रत्युतपन्न्मति,निर्मल भावी, उदार वृत्ति, मधुर भाषी, प्रभावी  व्यक्तित्त्व वाला  होना चाहिए ।

यथा--

देशकाल विधि निपुनमति, निर्मलभव उदार ।
मधुर वैन नयना सुगड़, सो याजक निरधार ।।

डॉ आशीष जैन शिक्षा शास्त्री दमोह

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