अनुकरण वाक्यम्
मंत्राधीनं जगत् सर्वं , मंत्राधीना देवता ।
ते मंत्रा: पंडिता धीना, तस्मात् पंडित देवता ।
मन्त्र के अधीन समस्त जगत् होता है , मन्त्रों के अधीन देवता होते हैं ।वे सभी मन्त्र विद्वान् पंडित के अधीन होते हैं इसलिये इस जगत् में उन्हें देवता कहा जाता है ।
ध्यान रहे विद्वान् चरितवान होना चाहिए ।अलोभवृति, ऐंद्रिय निवृत्ति वाला , देश काल की विधि का ज्ञाता, प्रत्युतपन्न्मति,निर्मल भावी, उदार वृत्ति, मधुर भाषी, प्रभावी व्यक्तित्त्व वाला होना चाहिए ।
यथा--
देशकाल विधि निपुनमति, निर्मलभव उदार ।
मधुर वैन नयना सुगड़, सो याजक निरधार ।।
डॉ आशीष जैन शिक्षा शास्त्री दमोह
मंत्राधीनं जगत् सर्वं , मंत्राधीना देवता ।
ते मंत्रा: पंडिता धीना, तस्मात् पंडित देवता ।
मन्त्र के अधीन समस्त जगत् होता है , मन्त्रों के अधीन देवता होते हैं ।वे सभी मन्त्र विद्वान् पंडित के अधीन होते हैं इसलिये इस जगत् में उन्हें देवता कहा जाता है ।
ध्यान रहे विद्वान् चरितवान होना चाहिए ।अलोभवृति, ऐंद्रिय निवृत्ति वाला , देश काल की विधि का ज्ञाता, प्रत्युतपन्न्मति,निर्मल भावी, उदार वृत्ति, मधुर भाषी, प्रभावी व्यक्तित्त्व वाला होना चाहिए ।
यथा--
देशकाल विधि निपुनमति, निर्मलभव उदार ।
मधुर वैन नयना सुगड़, सो याजक निरधार ।।
डॉ आशीष जैन शिक्षा शास्त्री दमोह
No comments:
Post a Comment